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2008 मालेगांव धमाकाः मृतक के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, पीठासीन न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने की मांग

LiveLaw News Network
13 Feb 2020 10:12 AM GMT
2008 मालेगांव धमाकाः मृतक के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, पीठासीन न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने की मांग
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मालेगांव निवासी 60 वर्षीय, निसार अहमद सैय्यद बिलाल ने बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्यायाधीश वीएस पाडलकर के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है, जो 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुकदमे की अध्यक्षता कर रहे हैं। जज पाडलकर 28 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के भिक्कू चौक पर रमजान महीने में हुए बम धमाके में निसार ने अपने बेटे सैय्यद अजहर निसार अहमद को खो दिया था। धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक घायल हो गए ‌थे।

निसार ने अपने पत्र में लिखा है,

"कायराना बम धमाके ने न केवल जान और माल की बर्बादी और नुकसान का का कारण बना है, बल्कि मालेगांव के निवासियों के बीच भय भी पैदा किया, जो आज तक जारी है।"

पत्र में मालेगांव बम धमाके में शामिल रहे कई हाई प्रोफाइल लोगों का जिक्र किया गया है, जिनमें भोपाल की वर्तमान भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल श्रीकांत पुरोहित शामिल हैं और उसके बाद न्यायाधीश पाडलकर के काम की प्रशंसा की गई है।

निसार ने कहा कि अभियुक्तों की मालेगांव मामले में मुकदमे को पटरी से उतारने की कोशिश के बावजूद, न्यायाधीश वीएस पाडलकर ने अभियोजन पक्ष के 140 गवाहों को निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से सुना है। पत्र में कहा गया है कि आरोपियों ने भी जज के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है।

पत्र में कहा गया है,

"घटना 2008 में हुई थी। एक दशक तक ये मामला घोंघे की गति से आगे बढ़ता रहा और माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा त्वरित सुनवाई के कई आदेशों के बावजूद मुकदमे की कार्यवाही के कोई आसार नहीं थे। पीड़ितों का ट्रायल की प्रक्रिया से भरोसा उठने लगा था, लेकिन जब माननीय न्यायाधीश विनोद पाडलकर ने कार्यभार संभाला, उन्होंने, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, आरोपियों द्वारामुकदमे को पटरी से उतारने की रणनीतियों का निपटारा किया और तुरंत ही ट्रायल शुरू किया।

निसार ने अपने पत्र में मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक न्यायाधीश पडालकर का कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया है। पत्र की प्रति भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनआईए मुख्यालय को भी भेजी गई है।

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