[17-करोड़ की धोखाधड़ी का मामला] "निजी लाभ के लिए जनता के धन के दुरुपयोग ने देश को बुरी तरह प्रभावित किया": इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

2 March 2022 6:30 AM GMT

  • [17-करोड़ की धोखाधड़ी का मामला] निजी लाभ के लिए जनता के धन के दुरुपयोग ने देश को बुरी तरह प्रभावित किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 करोड़ रूपये के जनता के धन की धोखाधड़ी के संबंध में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि निजी लाभ के लिए सार्वजनिक कार्यालय का दुरुपयोग दायरा और पैमाने पर बढ़ गया है। यह देश को बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे होने वाला भ्रष्टाचार राजस्व को कम करता है। आर्थिक गतिविधि को धीमा करता है और आर्थिक विकास को रोकता है।

    जस्टिस राजीव गुप्ता की पीठ दुर्गा दत्त त्रिपाठी द्वारा दायर सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता को 17.27 करोड़ रुपये के गबन मामले में आरोपी गया है।

    सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपने आवेदन में त्रिपाठी ने चार्जशीट, संज्ञान आदेश के साथ ही साथ ही उसके भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409, 420, 465, 468, 471 और धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी, 13(1)सी, 13(2) के तहत दर्ज एफआईआर के संबंध में पूरी कार्यवाही रद्द करने की प्रार्थना की।

    एफआईआर के अनुसार, आरोप लगाया गया कि वित्तीय वर्ष 1990-91, 1991-92 और 1992-93 के लिए निदेशालय, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं को वित्तीय बजट आवंटित किया गया। हालांकि, खर्च की गई राशि आवंटित राशि से बहुत अधिक है।

    एफआईआर में लगाए गए सभी आरोपों और जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए न्यायालय का विचार था कि यह आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।

    इसके अलावा, मामले से अलग होने से पहले न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि लोकतंत्र के सफल होने के लिए यह आवश्यक है कि सरकारी राजस्व में धोखाधड़ी न हो और लोक सेवक भ्रष्टाचार में लिप्त न हों। यदि वे ऐसा करते हैं तो भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "निजी लाभ के लिए सार्वजनिक कार्यालय का दुरुपयोग का दायरा और पैमाने बढ़ गया है। इससे देश बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भ्रष्टाचार राजस्व को कम करता है। यह आर्थिक गतिविधि को धीमा करता है और आर्थिक विकास को रोकता है। हाल के दिनों में यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सत्ता का गलियारा भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से बेदाग रहे और संसाधनों और धन का इष्टतम उपयोग हो। भ्रष्टाचार में कई प्रगतिशील पहलुओं को नष्ट करने की क्षमता है और इसने राष्ट्र के दुर्जेय दुश्मन के रूप में काम किया है।"

    केस का शीर्षक - दुर्गा दत्त त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और दुसरी

    केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 79

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