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12 साल से कम उम्र की किसी लड़की ज़बरन चूमना और गले लगाना पोकसो अधिनियम के तहत 'गंभीर यौन उत्पीड़न' हो सकता है : सिक्किम हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]

Sukriti
15 March 2019 1:16 PM GMT
12 साल से कम उम्र की किसी लड़की ज़बरन चूमना और गले लगाना पोकसो अधिनियम के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न हो सकता है : सिक्किम हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]
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सिक्किम हाई कोर्ट ने कहा है कि 11 साल की किसी लड़की को ज़बरन चूमना और उसे गले से लगाना पोकसो अधिनियम, 2012 की धारा 9m के तहत 'गंभीर यौन अपराध' हो सकता है।

न्यायमूर्ति भास्कर राज प्रधान ने पोकसो अधिनियम की धारा 9m के तहत एक व्यक्ति को दोषी ठहराने के विशेष अदालत के फ़ैसले को जायज़ ठहराया। इस व्यक्ति ने 11 साल की एक लड्डकि को ज़बरन चूमा था और उसे गले लगाया था। विशेष अदालत ने नाबालिग़ के बयान पर ग़ौर किया जिसे उसकी एक सहेली ने भी सही ठहराया जो कि उस समय वहाँ मौजूद थी जब यह वाक़या हुआ।

कोर्ट के समक्ष ग़ौर करने लायक़ मामला यह था कि क्या 11 साल की लड़की को ज़बरन चूमना और उसे गले से लगाना पोकसो अधिनियम, 2012 की धारा 9m के तहत 'गंभीर यौन अपराध' की श्रेणी में आता है कि नहीं। विशेष अदालत के फ़ैसले को सही ठहराते हुए कोर्ट ने कहा,

"जो भी 12 साल से काम उम्र की लड़की का यौन उत्पीड़न करता है तो वह गंभीर यौन अपराध की श्रेणी में आएगा। पोकसो अधिनियम की धारा 7 में 'यौन हमला' को परिभाषित किया गया है। जो भी यौन इरादे से किसी बच्चे के गुप्तांगों को छूता है या किसी अन्य तरह का यौन उत्पीड़न करता है…तो ऐसा माना जाएगा कि उसने उस बच्चे का यौन उत्पीड़न किया है। 12 साल से कम उम्र के नाबालिग़ को उसके अभिभावक की अनुपस्थिति में कार की पिछली सीट पर ज़बरदस्ती चूमना यौन हमले के अलावा कुछ और नहीं हो सकता। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ऐसा करना यौन हमला है। चूँकि ऐसा 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ किया गया इसलिए यह पोकसो अधिनियम की धारा 9m के तहत गंभीर यौन अपराध आही।

इसके बाद कोर्ट ने विशेष अदालत के इस बारे में फ़ैसले को सही ठहराया और आरोपी को पाँच साल की क़ैद की सज़ा को जायज़ ठहराया।


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