[UAPA] कोझीकोड ब्लास्ट: केरल हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी नज़ीर को बरी किया, अन्य आरोपियों को बरी करने के खिलाफ एनआईए की अपील खारिज की
LiveLaw News Network
27 Jan 2022 3:24 PM IST
केरल हाईकोर्ट (High Court) ने गुरुवार को 2006 के कोझीकोड विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सदस्य थदियानेविदा नज़ीर और शफ़ाज़ को बरी किया।
न्यायमूर्ति विनोद के चंद्रन और न्यायमूर्ति सी. जयचंद्रन की खंडपीठ ने मामले में दो अन्य आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर अपील को भी खारिज कर दिया।
3 मार्च, 2006 में कोझीकोड मुफस्सिल बस स्टैंड और केएसआरटीसी स्टैंड पर विस्फोट हुआ था। आरोपियों ने शहर के कलेक्ट्रेट और मीडिया को बम लगाने के बाद उनके स्थान के बारे में सूचित किया था। हालांकि शुरुआत में इसकी जांच स्थानीय पुलिस ने की, लेकिन 2009 में एनआईए ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया था।
नज़ीर अदालत के समक्ष अपनी अपील पर बहस करने के लिए तैयार था, इसलिए उसे परप्पना अग्रहारा में बैंगलोर सेंट्रल जेल से ले जाया गया और पहली सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष पेश किया गया।
नज़ीर की ओर से एक वकील भी पेश हुआ, इसलिए तुरंत एक वकालत पर हस्ताक्षर किए गए और उसे वापस जेल भेज दिया गया। अदालत ने उसे ऑनलाइन कार्यवाही देखने की स्वतंत्रता भी दी।
मामले के पहले और चौथे आरोपी नज़ीर और शफ़ाज़ ने निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को रद्द करने के लिए अपील दायर की थी।
आरोपियों ने निचली अदालत के इस निष्कर्ष का खंडन किया कि उन्होंने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध किए हैं।
आरोपियों ने कहा कि वे निर्दोष हैं। इसके साथ ही एनआईए ने मामले के तीसरे और नौवें आरोपी अब्दुल हलीम और अबूबकर यूसुफ को बरी करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ भी अपील की थी।
एनआईए ने 2010 में यूएपीए, आईपीसी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था। चार्जशीट के मुताबिक घटना की तारीख को स्थानीय पुलिस को मीडिया से फोन पर सूचना मिली थी कि शहर में उक्त जगहों पर दो बम रखे गए हैं।
पुलिस समय पर पहुंचने और लोगों को निकालने में सफल रही, जिससे जान-माल का नुकसान कम हुआ। मुफस्सिल बस स्टैंड पर हुए विस्फोट में घायल हुए दो लोगों में एक पुलिसकर्मी था जो बम से भरे संदिग्ध बैग की जांच करने गया था तभी उसमें विस्फोट हो गया था।
कथित तौर पर 2003 के मराद सांप्रदायिक दंगों के मामले में कुछ मुस्लिम आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने के विरोध में विस्फोट की योजना बनाई गई थी।
केस का शीर्षक: थड़ियानेविदा नज़ीर बनाम केरल राज्य और संबंधित मामले