अगर बैंक ने चेक खोया तो वो ग्राहक को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी : NCDRC [आर्डर पढ़े]
Live Law Hindi
28 July 2019 10:00 AM IST
बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने बैंक को एक ग्राहक का चेक खोने का दोषी पाया और चेक के बराबर की राशि का भुगतान करने के लिए बैंक को उत्तरदायी ठहराया है।
मामले की पृष्ठभूमि
बैंक का मामला यह था कि चितरोदिया (उत्तरदाता) द्वारा जमा किया गया चेक अस्वीकृत कर दिया गया था और रजिस्टर्ड डाक द्वारा चेक रिटर्न मेमो के साथ उनके पंजीकृत पते पर भेज दिया गया था। लेकिन बाद में इस चेक को बैंक को वापस लौटा दिया गया था। इस प्रकार उसे उत्तरदाता को नहीं सौंपा गया और बैंक की सेवाओं में कोई कमी नहीं थी। दूसरी ओर उत्तरदाता ने यह आरोप लगाया कि उसने लगातार अपने चेक को वापस करने के लिए बैंक से गुहार लगाई। यहां तक कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपना चेक लेने के लिए बैंक का दौरा भी किया लेकिन सब व्यर्थ रहा।
जिला आयोग ने दी थी शिकायत को आंशिक अनुमति
जिला आयोग ने अपने आदेश दिनांक 10.10.2013 को आंशिक रूप से इस शिकायत की अनुमति दी। राज्य आयोग ने 20.01.2016 के अपने आदेश में बैंक को प्रतिवादी को चेक की पूरी राशि अर्थात 3,60,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। वर्तमान संशोधन याचिका राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ बैंक द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 21 (बी) के तहत दायर की गई थी।
जांच एवं उसका परिणाम
एनसीडीआरसी ने यह पाया कि जब बाउंस हुए चेक को प्रतिवादी के पंजीकृत पते से अयोग्य करार दिया गया था तो उसे बाद में किसी भी अवसर पर प्रतिवादी को वितरित नहीं किया गया था। बल्कि यह पाया गया कि बैंक ने चेक खो दिया था जिसके कारण प्रतिवादी ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत मामला दर्ज करने का अधिकार खो दिया था।
चेक वापस करने में बैंक की विफलता और परिणामस्वरूप उत्तरदाता को हुई कानूनी चोट (legal injury) को ध्यान में रखते हुए एनसीडीआरसी ने गुजरात राज्य आयोग के आदेश के साथ हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।