जंगलों पर मानवों का अतिक्रमण COVID 19 संक्रमण का बड़ा कारण, मणिपुर हाईकोर्ट ने जंगल क्षेत्र के प्रसार के लिए जारी किए निर्देश

LiveLaw News Network

16 Jun 2020 3:15 AM GMT

  • जंगलों पर मानवों का अतिक्रमण COVID 19 संक्रमण का बड़ा कारण, मणिपुर हाईकोर्ट ने जंगल क्षेत्र के प्रसार के लिए जारी किए निर्देश
    Manipur High Court

    मणिपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में निर्देश जारी कर पर्यावरण विशेषकर राज्य के जंगल क्षेत्र को बचाने के लिए ज़रूरी क़दम उठाने को कहा है ताकि जानवरों से होने वाली बीमारियों के ख़तरे को रोका जा सके।

    मुख्य न्यायाधीश रामलिंगम सुधाकर और जस्टिस ए बिमोल सिंह की पीठ ने कहा कि जंगलों को नष्ट करने उनमें मानवों का अतिक्रमण और जंगलों में रहने वाले जीवों को वहां से हटाना COVID 19 जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण है।

    पीठ जिस याचिका पर सुनवाई कर रही थी वह मणिपुर वैली विलेज रिज़र्व फ़ॉरेस्ट राइट्स प्रटेक्शन एसोसिएशन ने दायर की है और उसने इसके माध्यम से मणिपुर के जंगलों और सुरक्षित वन क्षेत्रों के संरक्षण की मांग की है।

    राज्य प्राधिकरणों को अदालत का निर्देश :

    · जंगल की आग पर तत्काल क़ाबू पाने के लिए क़दम उठाए जाएं जो कि अमूमन मानवीय कारणों से लगती है;

    · वन क्षेत्रों पर ग़ैरक़ानूनी मानवीय आवासन के लिए अतिक्रमण को रोका जाए;

    · जंगली पशुओं, पक्षियों, फूलों और वनस्पतियों को अधिनियमों और नियमों के तहत संरक्षित करें;

    · जंगल की आग एवं अन्य कारणों से वन के जिन हिस्सों में जंगल समाप्त हुए हैं, वहां जंगल लगाए जाएं;

    · वन क्षेत्र का सीमांकन किया जाए और इसमें जगह-जगह चेतावनी के चिह्न इस तरह से लगाए जाएं कि जंगली पशुओं, पक्षियों और फूलों और वनस्पतियों से शोध और अध्ययन को छोड़कर मानव का कोई सम्पर्क नहीं रहे।

    अदालत ने कहा कि कॉम्पेंसेटरी अफ़ॉरेस्टेशन फंड मैनज्मेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (सीएएमपीए) जो धन इकट्ठा करता है, उसका प्रयोग राज्य में वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए होना चाहिए। सीएएमपीए का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर TN Godavarman Thirumulpad v. Union of India & Ors., (2006) 10 SCC 486 मामले में आए फ़ैसले के अधीन हुआ था।

    मणिपुर सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह वन संबंधी गतिविधियों पर इस फंड के प्रयोग के बारे में अदालत को रिपोर्ट पेश करे।

    अदालत ने सभी प्रतिवादियों से कहा है कि वे वन क्षेत्र के पास रहनेवाले लोगों को वनों को संरक्षित करने के बारे में शिक्षित करें।

    अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, वायरॉलॉजिस्ट, संक्रमणकारी बीमारियों के विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों को एक आम उद्देश कि लिए मिलकर काम करना चाहिए और पशुओं और मानव के बीच संपर्क क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए। उन्हें नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने चाहिए ताकि किसी नई वायरल या बैक्टीरियल बीमारी की वे पहचान कर सकें।

    अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि संक्रमणकारी बीमारियों पर जो शोध चल रहे हैं उनको सही तरीक़े से फंड मिलता रहे और उसकी निगरानी होती रहे यह सुनिश्चित करे।

    अदालत ने अंत में कहा,

    "…जनसंख्या में बेलगाम वृद्धि की वजह से जंगल के काटे जाने और अनावश्यक मानव-पशु संपर्क का परिणाम है वर्तमान महामारी जिसको वैसे टाला जा सकता था।"

    याचिककर्ता की पैरवी वक़ील तरुण कुमार ने और प्रतिवादी की पैरवी लेनिन हिजम और एएसजी एस सुरेश ने की।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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