त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, एनडीपीएस के तहत गिरफ़्तार लगभग 70% लोग ज़मानत पर क्यों हैं? [आर्डर पढ़े]

Rashid MA

23 Jan 2019 1:25 PM GMT

  • त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, एनडीपीएस के तहत गिरफ़्तार लगभग 70% लोग ज़मानत पर क्यों हैं? [आर्डर पढ़े]

    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मादक द्रव्य से जुड़े मामले में गिरफ़्तार किए गए 660 लोगों में से 435 लोगों के ज़मानत पर होने को लेकर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण माँगा है।

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल प्रीतम रॉय नामक व्यक्ति की ज़मानत याचिका पर ग़ौर करते हुए यह बात कही। पुलिस महानिदेशक ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के बारे में एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें इस इससे जुड़े अपराधों के अपराधियों का विवरण था।

    इस स्थित को 'बहुत ही सोचनीय' बताते हुए संजय करोल ले कहा, "ज़मानत देने के क्या कारण हैं; क्या इसे ही डिफ़ॉल्ट ज़मानत कहा जाता है; क्या लोक अभियोजक ने ज़मानत दिए जाने को सहमति दी; क्या ऐसी बात है कि लोक अभियोजक ने ज़मानत का विरोध नहीं किया; क्या ऐसा है कि अदालतों ने स्थापित सिद्धांतों के ख़िलाफ़ जाकर ज़मानत दी है; या ऐसा है कि कि निर्दोषों को ग़लत तरीक़े से फँसाया गया है। अगर हाँ, तो ग़लती करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ अधिकारियों ने क़ानून के तहत क्यों कार्रवाई नहीं हुई है?"

    कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह एनडीपीएस के तहत वर्ष 2018 में दर्ज सभी मामलों के बारे में पूरी जानकारी दे। कोर्ट ने कहा, "यह सूचना विशिष्ट होना चाहिए, विस्तार में होना चाहिए और हर मामले और कितने मामले दर्ज हुए हैं, कितने लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उनकी गिरफ़्तारी की तिथि, वह तिथि जिस दिन उसे अंतरिम या पूर्ण ज़मानत दी गई; ज़मानत दिए जाने का कारण; क्या अंतरिम ज़मानत को नियमित ज़मानत में बदला गया; और क्या इसके ख़िलाफ़ किसी तरह की कोई कार्रवाई शुरू की गई है या किसी ने इसकी माँग की है; निर्धारित समय पर जाँच नहीं पूरी किए जाने का कारण और चलन समय पर नहीं पेश करने का कारण आदि का विवरण हो।"

    कोर्ट ने इस मामले को लेकर निम्नलिखित निर्देश दिए-

    • गाँजा की उगी हुई फ़सल को नष्ट करने और इसकी खेती को रोकने के लिए सक्रिय क़दम उठाया जाए। त्रिपुरा के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में समिति गठित की जाए ताकि इसकी खेती को रोका जा सके। यह कार्य इस आदेश को जारी करने की तिथि से छह महीने में पूरी कर ली जाए। ये अधिकारी कोर्ट को हर महीने के पहले सप्ताह में इस आदेश को लागू किए जाने के बारे में प्रगति रिपोर्ट देंगें।
    • राज्य का मुख्य संचिव और डीजीपी पुलिस अधिकारियों को इस मामले को लेकर उचित प्रशिक्षण देने के लिए पर्याप्त क़दम उठाएगा।
    • राज्य सरकार त्रिपुरा विधि प्रशिक्षण संस्थान और त्रिपुरा न्यायिक अकादमी की इस बारे में मदद ले सकती है।
    • राज्य के ये दो अधिकारी को कड़ी नज़र रखनी होगी ताकि किसी कोई वास्तविक दोषी निर्दोषों को परेशान नहीं किया जाए।
    • राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह नागरिकों को पुलिस जवाबदेही आयोग और त्रिपुरा सरकार के उद्देश्यों के बारे में सचेत करे।
    • राज्य सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करे।


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