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बल्ब लगाने को लेकर हुए झगड़े में बेटी की हत्या करने वाले को सुप्रीम कोर्ट से राहत [निर्णय पढ़े]
![बल्ब लगाने को लेकर हुए झगड़े में बेटी की हत्या करने वाले को सुप्रीम कोर्ट से राहत [निर्णय पढ़े] बल्ब लगाने को लेकर हुए झगड़े में बेटी की हत्या करने वाले को सुप्रीम कोर्ट से राहत [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/04/18358835-supreme-court-of-india-1jpg.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस व्यक्ति की सज़ा को संशोधित किया जिसको अपनी बेटी को मारने का अपराधी ठहराया गया था।
गोविंद सिंह को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी और उसे अपनी बेटी ललिता की हत्या का दोषी पाया गया था।
बल्ब की जगह तय करते समय बेटी और बाप में तू-तू मैं-मैं हुई और ऐसा आरोप है कि बाप ने चिम्नी लैम्प अपनी बेटी की तरफ़ फेंका जिससे उसकी बेटी जल गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ सात दिन बाद उसकी मौत हो गई।
निचली अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ उसने छत्तीसगढ़ उच्च नयालय में अपील की जिसने आईपीसी की धारा 302 के तहत उसकी सज़ा को सही ठहराया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर बनुमती, और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने इस अपील की सुनवाई की और कहा,
" यह पूरी घटना क्षणिक उत्तेजना में हुई। बल्ब को कहाँ फ़िट करना है इस बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई और इस दौरान अपीलकर्ता ने चिम्नी लैम्प अपनी बेटी के ऊपर दे मारा। यह पूरी घटना पूर्व पूर्वचिंतित नहीं थी…चिम्नी लैम्प जल रहा था और अपीलकर्ता ने उसे उठाकर मृतक की ओर फेंक मारा। चूँकि यह घटना अचानक हुई कहासुनी की वजह से हुई और यह पूर्वचिंतित नहीं थी, इसलिए यह आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के तहत आएगा।"
इस बात पर ग़ौर करते हुए कि दोषी व्यक्ति 11 साल और आठ महीने जेल में बिता चुका है, बेंच ने उसकी जेल की सज़ा को संशोधित किया और उसकी रिहाई का फ़ैसला सुनाया।