ज़मानत और सज़ा को निलंबित करने की अपील जैसे मामलों को निपटाने में देरी न्याय का उपहास है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
Live Law Hindi
11 April 2019 12:16 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ज़मानत और लंबित आपराधिक मामलों में सज़ा को निलंबित करने की अपील पर सुनवाई में देरी न्याय का उपहास है। सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक मामले में सज़ा को निलंबित करने को लेकर दायर अपील की सुनवाई के दौरान यह बात कही। यह अपील पिछले सात सालों से उड़ीसा हाईकोर्ट में लंबित है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा, "हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सज़ा को निलंबित करने की अपील पर सुनवाई के दौरान क्यों इतने सारे स्थगन दिए गए।"
एसके हैदर को हत्या के एक मामले में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सज़ा मिली। मार्च 2011 में उसने हाईकोर्ट में अपनी सज़ा के निलंबन के लिए याचिका दायर की। इस याचिका को सुनवाई के लिए 28 सितम्बर 2012 को सूचीबद्ध किया गया और इसके बाद इसकी सुनवाई कई बार स्थगित की गई। इसके बाद हैदर ने इस मामले में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
पीठ ने अब हाईकोर्ट से कहा है कि वह चार सप्ताह के अंदर सज़ा को निलंबित करने पर फ़ैसला करे। ई-कोर्ट्स केस स्टेटस से पता चलता है कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर फ़ैसला सुनाने के लिए इस पर अब कल सुनवाई करेगा।
मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अपने फ़ैसले में जो आदेश दिया उसमें आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए थे।