शिकायतकर्ता आदतन दूसरे लोगों को फंसा रही थी, सुप्रीम कोर्ट ने रेप के दोषी को बरी किया [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
27 March 2019 11:35 AM GMT
"इसी प्रकार की शिकायतें पिछले दिनों शिकायतकर्ता द्वारा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी की जा रही थीं और बाद में ऐसी शिकायतें झूठी पाई गईं"
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बलात्कार के मामले में समवर्ती दोषी व्यक्ति को बरी कर दिया। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सपरे और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष को ऐसी शिकायत करने की आदत थी और वास्तव में उसने इसी प्रकार की जो शिकायतें दूसरों के खिलाफ की थीं, वो बाद में झूठी पाई गईं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इन समवर्ती फैसलों को रद्द करने के 7 कारण बताए, जो इस प्रकार हैं:-
• कथित घटना के बाद डॉक्टर द्वारा शिकायतकर्ता की जांच नहीं की गई थी। किसी भी चिकित्सीय परीक्षण के अभाव में अभियोजन पक्ष ने अपने मामले के समर्थन में किसी भी डॉक्टर का परीक्षण नहीं किया।
• यह विवादित नहीं है कि इस तरह की शिकायतें पूर्व में भी शिकायतकर्ता द्वारा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ की गई थीं और बाद में ऐसी शिकायतें झूठी पाई गईं हैं;
• यह भी विवादित नहीं है कि अभियोजक और अभियोजक के पति के बीच दुश्मनी थी जिसके चलते उनके संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं थे;
• यह भी साक्ष्य में सामने आया कि अभियोजन पक्ष तमाम व्यक्तियों के खिलाफ ऐसी प्रकृति के आरोप लगाकर फंसाने की आदत में थी जिनके उसके/और उसके पति के साथ किसी भी तरह के विवाद थे;
• कथित घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और जिसे गवाह के रूप में उद्धृत किया गया यानी पीडब्लू -2, वह एक ऐसा गवाह था जिसकी गवाही पर बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता था;
• जहां तक शिकायतकर्ता के पति पीडब्लू -1 का सवाल है, उसने स्वीकार किया है कि वह घटना के अगले दिन सुबह गांव लौट आया था।
पीठ ने आखिरकार यह स्वीकार किया कि अभियोजन पक्ष, आरोपी द्वारा उचित संदेह से परे (beyond reasonable doubt) महिला से बलात्कार के मामले को साबित करने में विफल रहा है।