गवाह को बुलाने के लिए बार बार अर्ज़ी दिए जाने को प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]
Live Law Hindi
14 Feb 2019 10:57 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत बार बार गवाह को बुलाए जाने के लिए अर्ज़ी देने को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की पीठ ने Swapan Kumar Chatterjee vs. CBI मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर ग़ौर करते हुए यह कहा। हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में निचली अदालत के उस फ़ैसले को सही ठहराया था जिसमें अभियोजन को एक हस्तलेखन विशेषज्ञ को कोर्ट में बुलाए जाने को लेकर था। भ्रष्टाचार के इस मामले की सुनवाई 1985 से चल रही है।
मार्च 2004 में अभियोजन ने एक अर्ज़ी देकर हस्तलेखन विशेषज्ञ एचएस टुटेजा की पड़ताल करने की माँग की थी। इस अर्ज़ी को स्वीकार कर लिया गया पर वे उक्त तिथि पर हाज़िर नहीं हुए। मजिस्ट्रे ने और वक़्त की अभियोजन की माँग मान ली पर अगली तिथि पर भी वह हाज़िर नहीं हुआ।
"दिलचस्प बात यह है कि यह प्रक्रिया जो 2004 में शुरू हुई, पिछले 13 सालों से बेरोकटोक चल रही है", पीठ ने कहा।
कोड की धारा 311 का ज़िक्र करते हुए पीठ ने कहा कि न्याय के हित में ही इसके तहत दिए गाए अधिकारों का प्रयोग किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा,
"…इस धारा के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग उस स्थिति में नहीं होगा अगर अदालत को यह लगता है अर्ज़ी देकर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है", पीठ ने कहा।
इस मामले में एक के बाद एक दायर किए आवेदन और बार बार लिए गए स्थगन का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अभियोजन की गवाही कबका बंद हो चुकी है पहले गवाहों की पड़ताल का जो कारण बताया गया है वह संतोषजनक नहीं है, देरी से गवाहों को बुलाने से आरोपी के ख़िलाफ़ भेदभाव तैयार होगा और इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती। इसी तरह कोर्ट को चाहिए कि वह इस प्रावधान के तहत एक के बाद एक अर्ज़ी देकर गवाहों को बुलाने की माँग करने की इजाज़त नहीं दे।
कोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट के आदेश को ख़ारिज कर दिया और गवाह को बुलाने की अर्ज़ी को निरस्त कर दिया।