मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग़ लड़की से बलात्कार और उसकी हत्या कर देने वाले आरोपी की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा [निर्णय पढ़े]
Rashid MA
20 Jan 2019 12:52 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को 16 वर्षीय एक लड़की के बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपी की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा।
सत्र अदालत ने रब्बू ऊर्फ़ सर्वेश को एक अन्य नाबालिग़ आरोपी के साथ पोकसो अधिनियम की धारा 5(g)/6 और आईपीसी की धारा 450, 376(2)(i), 376(D), 376(A) के तहत दोषी पाया।
इन दोनों पर एक लड़की से सामूहिक बलात्कार करने और बाद में उसको आग लगाकर जलाकर मार देने का आरोप था। लड़की की 7 दिन के बाद मौत हो गई थी। न्यायमूर्ति पी. के. जायसवाल और बी. के. श्रीवास्तव ने कोर्ट में पेश साक्ष्य, विशेषकर डीएनए रिपोर्ट के आधार पर सत्र अदालत द्वारा उसे दोषी ठहराए जाने को सही बताया।
मानवता पर ख़तरा ज़्यादा बड़ा है
पीठ ने कहा कि आरोपी ने बहुत ही संगीन अपराध किया है। उसने एक छोटी सी लड़की से बलात्कार किया जिसका एकमात्र यह दोष था कि उसने इस पर विश्वास किया था। पीठ ने यह भी कहा कि आरोपी जैसे लोगों की वजह से मानवता आज ज़्यादा ख़तरे में है। और जिस तरह का संगीन अपराध उसने किया है, उसे मौत से कम की सज़ा नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने कहा, "…हमारी राय में आरोपी को मौत की सज़ा उसके लिए एकमात्र उचित सज़ा है और हम निचली अदालत की इस राय से अलग राय नहीं रख सकते।"
आरोपी की ओर से निचली अदालत के फैसले पर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज की गई थी कि अगर निचली अदालत ने आरोपी को एक ऐसी धारा के तहत दोषी ठहराया है, जिसके तहत उसे मौत की सज़ा दी जा सकती है तो कोर्ट को चाहिए कि वह सज़ा के समय सुनवाई को स्थगित कर दे।
लेकिन इस मामले में निचली अदालत ने सज़ा के बारे में सुनवाई उसी दिन की, जिस दिन अदालत द्वारा यह फ़ैसला दिया गया। इस आपत्ति को ठुकराते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि हर मामले में जिस दिन फ़ैसला सुनाया जाए, उस दिन सजा की सुनवाई स्थगित कर दी जाए।