'जजमेंट आॅन ऐडमीशन यानि स्वीकृति पर फैैसला' तभी दिया जा सकता है,जब स्वीकृति स्पष्ट व बेशर्त हो-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

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30 April 2019 6:06 AM GMT

  • जजमेंट आॅन ऐडमीशन यानि स्वीकृति पर फैैसला तभी दिया जा सकता है,जब स्वीकृति स्पष्ट व बेशर्त हो-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि 'जजमेंट आॅन ऐडमीशन (स्वीकृति पर फैैसला)' पर फैसला तभी दिया जा सकता है,जब किसी प्रतिवादन या बहस में स्वीकृति स्पष्ट व बेशर्त रूप से दी गई हो।

    एक विशेष अदायगी केस यानि स्पेसिफिक परफॉरमेंस सूट में दिल्ली हाईकोर्ट की 2 सदस्यीय खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है, जो उसके द्वारा कोड आॅफ सिविल प्रोसिजर के आर्डर XII के रूल 6 के तहत दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने अपना यह आदेश प्रतिवादी के वकील की तरफ से जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान दी गई दलीलों के आधार पर दिया था। साथ ही कंपनी की तरफ से दायर बैलेंसशीट में की गई कुछ एंट्री को आधार बनाया था।

    शीर्ष कोर्ट की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी ने कोई स्पष्ट व बेशर्त स्वीकृति (एडमिशन) नहीं दी है, जैसी कि याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है। कोर्ट ने कहा कि-

    "याचिकाकर्ता ने जो दावा किया है, उसके अनुसार 03 मई 2005 को हुए अनुबंध के पेज 3 व 4 से छेड़छाड़ की गई है और उनके हस्ताक्षरों में भी फर्जीवाडा किया गया है। जब एक बार विशेष मुद्दे फ्रेम कर दिए गए है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता ने स्पष्ट व बेशर्त एडमिशन दिया है। अगर याचिकाकर्ता यह साबित कर देता है कि अनुबंध में फर्जीवाडा हुआ है, जैसा कि उसने दावा किया है तो केस की बाद की सुनवाई याचिकाकर्ता व प्रतिवादी के दावों के आधार पर पूरी तह तक जाएगी।"

    हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए शीर्ष कोर्ट की पीठ ने कहा कि-

    "इस मामले में यह देखने में आया है कि सीपीसी के आर्डर XII के रूल 6 के तहत राहत मांगी गई थी। जिसके लिए लिखित अर्जी दायर करते हुए यह दावा किया गया था कि यह स्वीकृति यानि एडमिशन वकील द्वारा जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान दी गई दलीलों पर आधारित है। इसके अलावा याचिकाकर्ता व प्रतिवादी की तरफ से दायर किसी अन्य अर्जी में इसके समर्थन में कोई एडमीशन या स्वीकृति नहीं है। यह पुराना प्रिंसीपल है कि सबूतों का कोई टुकड़ा स्वीकृति की अनुपस्थिति व अर्जी के मूल आधार के बिना सहायक साबित नहीं हो सकता है। यह सच है कि अगर स्वीकृति स्पष्ट व बेशर्त हो तो उनके आधार पर फैसला दिया जा सकता है। परंतु किसी भी परिस्थिति में, बल्कि खुद इस मामले में अगर स्वीकृति स्पष्ट व बिनाशर्त के है तो मामले में पेश कागजातों के आधार पर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है या नहीं, यह मामले के तथ्यों के आधार पर विचार किया जाने का मामला है। परंतु सीधे तौर पर किसी को सीपीसी के रूल 6 के आर्डर XII का लाभ नहीं दिया जा सकता है।"



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