स्टालों और कुर्सियों को हटाने के लिए आपको बुलडोजर की आवश्यकता है?": सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी विध्वंस पर एनडीएमसी से पूछा

LiveLaw News Network

21 April 2022 10:18 AM GMT

  • स्टालों और कुर्सियों को हटाने के लिए आपको बुलडोजर की आवश्यकता है?: सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी विध्वंस पर एनडीएमसी से पूछा

    "स्टॉल, कुर्सियों, बेंच, बक्सों को हटाने के लिए, आपको बुलडोजर की आवश्यकता है?" सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम से नई दिल्ली के जहांगीरपुरी में उसके द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के संबंध में पूछा।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने एनडीएमसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा यह प्रस्तुत किए जाने के बाद सवाल उठाया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी स्टाल, कुर्सी, बेंच आदि को सार्वजनिक सड़क पर रखा गया है, उन्हें अधिनियम के उल्लंघन में बिना किसी पूर्व सूचना के हटाया जा सकता है ।

    एसजी याचिकाकर्ताओं के इस तर्क का जवाब दे रहे थे कि बिना किसी पूर्व सूचना के विध्वंस किया गया।

    न्यायमूर्ति राव ने एसजी की दलीलों पर जवाब देते हुए, पूछा कि क्या 20 अप्रैल को जहांगीरपुरी में किया गया विध्वंस केवल स्टालों, कुर्सियों, बक्सों की बेंच आदि को हटाने के लिए था?

    न्यायमूर्ति राव ने पूछा,

    "कल की तोड़फोड़ केवल स्टालों, कुर्सियों, मेजों आदि को हटाने के लिए थी?"

    एसजी ने प्रस्तुत किया कि उनके निर्देशानुसार, सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर जो कुछ भी था, उसे हटा दिया गया।

    जस्टिस गवई ने पूछा,

    "स्टॉल, कुर्सियों, बेंच, बक्सों को हटाने के लिए आपको बुलडोजर की जरूरत है?"

    एसजी ने प्रस्तुत किया कि न्यायालय के लिए यह कहना सही है कि इमारतों को गिराने के लिए बुलडोजर की आवश्यकता है, उनके निर्देशों के अनुसार, लोगों को पूर्व नोटिस जारी किए गए थे।

    एसजी ने कहा,

    "इमारतों के लिए नोटिस जारी किए गए।"

    जस्टिस गवई ने कहा,

    "अगर क़ानून में किसी चीज़ को एक निश्चित तरीके से करने का प्रावधान है तो वह उसी तरह से किया जाना चाहिए। यह अपीलीय उपचार का भी प्रावधान करता है, यह 5-15 दिनों के लिए समय प्रदान करता है।"

    एसजी ने कहा कि बिल्डिंग के लिए नोटिस जारी किए गए थे।

    जस्टिस राव ने गणेश गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से पूछा , जिनकी जहांगीरपुरी में जूस की दुकान को नष्ट कर दिया गया था, क्या उनके मुवक्किल को विध्वंस के संबंध में पूर्व नोटिस जारी किया गया था और क्या उनके मुवक्किल के पास रास्ते में स्टाल, कुर्सी या टेबल हैं?

    हेगड़े ने अदालत को सूचित किया कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। एसजी ने दोहराया कि बिल्डिंग को गिराने के संबंध में नोटिस जारी किए गए थे।

    सॉलिसिटर जनरल ने आगे जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ताओं को अदालत के सामने विध्वंस के तथ्य और विवरण पेश करने चाहिए।

    एस जी ने कहा,

    "क्या यह विध्वंस बिना किसी नोटिस के किया गया था, लोगों को आने दो और कहने दो। वे कहें कि नोटिस जारी नहीं किया गया था, मैं नोटिस दिखाऊंगा।"

    उन्होंने कहा कि याचिका एक संगठन द्वारा दायर की गई है न कि प्रभावित पक्षों ने।

    बेंच जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर दो याचिकाओं पर विचार कर रही थी, एक दिल्ली के जहांगीरपुरी में विध्वंस अभियान के खिलाफ, और दूसरी मध्य प्रदेश, यूपी और गुजरात राज्यों में दंगों जैसी आपराधिक घटनाओं में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों की संपत्तियों के विध्वंस के खिलाफ दायर याचिका पर। .

    सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से दायर याचिका में एनडीएमसी को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा मांगा।

    दंगा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा शुरू किए गए विध्वंस अभियान के खिलाफ यथास्थिति के आदेश को अगले आदेश तक अदालत ने बढ़ा दिया।

    जस्टिस राव ने कहा,

    "हम याचिकाकर्ताओं से नोटिस पर हलफनामा चाहते हैं और विध्वंस के विवरण पर जवाबी हलफनामे और तब तक यथास्थिति का आदेश जारी रहेगा।"

    सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को विध्वंस पर यथास्थिति का आदेश दिया था।

    केस का शीर्षक: जमीयत उलमा-ए-हिंद और दूसरा बनाम भारत संघ और अन्य

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