संविदा के आधार पर लंबी अवधि तक काम करने से नियमितीकरण का कोई निहित अधिकार नहीं बनता: ​​सुप्रीम कोर्ट

Sharafat

19 Sep 2023 10:10 AM GMT

  • संविदा के आधार पर लंबी अवधि तक काम करने से नियमितीकरण का कोई निहित अधिकार नहीं बनता: ​​सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि संविदा के आधार पर लंबे समय तक काम करने से सेवा में नियमितीकरण का कोई निहित कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं होता है।

    शीर्ष अदालत 2011 से अनुबंध के आधार पर श्री गुरु गोविंद सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में नियुक्त व्यक्तियों की अपील पर विचार कर रही थी।

    अपीलकर्ताओं ने अपने संबंधित पदों पर सेवा में नियमितीकरण की मांग की थी। हालांकि राज्य ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

    जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा संस्थान में बिताए गए समय की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने नियमित होने का कोई निहित कानूनी अधिकार हासिल नहीं किया है। इस प्रकार बॉम्बे हाईकोर्ट के दृष्टिकोण की पुष्टि की गई।

    शीर्ष अदालत ने कहा,

    "हम याचिकाकर्ताओं के इस तर्क की सराहना करते हैं कि उन्होंने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ हिस्सा उक्त कॉलेज के लिए दिया है, लेकिन जहां तक ​​कानून का सवाल है, हमें नहीं लगता कि उनके लगातार काम करने से उनके पक्ष में कोई कानूनी अधिकार बना है।

    यदि इस तरह के नियमितीकरण के लिए कोई योजना होती तो वे ऐसी योजना का लाभ उठा सकते थे, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है। हमें यह भी बताया गया है कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने वर्तमान भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्ति के लिए आवेदन किया है।

    हाईकोर्ट ने उनके दावे को मुख्य रूप से इस आधार पर खारिज कर दिया कि उन्हें अपनी सेवा के नियमितीकरण की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें नहीं लगता कि कोई अलग दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है।"

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