जस्टिस कुरैशी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दा खुला रखा कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र समयबद्ध तरीके से फैसला ले

LiveLaw News Network

13 Nov 2019 7:07 AM GMT

  • जस्टिस कुरैशी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दा खुला रखा कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र समयबद्ध तरीके से फैसला ले

    केंद्र सरकार के जस्टिस कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के नोटिफिकेशन पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

    लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि क्या कॉलेजियम की जजों की नियुक्ति पर भेजी गई सिफारिशों पर क्या केंद्र सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से कदम उठाया जाना है, ये मुद्दा खुला रहेगा।

    दरअसल 8 नवंबर को केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति अकिल अब्दुल हमीद कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

    इससे पहले कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर ये सुनवाई टाल दी थी जिसमें कहा गया कि कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र द्वारा फैसला लेने का अंतिम चरण चल रहा है। कुछ प्रशासनिक कारण शामिल हैं।

    जस्टिस कुरैशी पर कॉलेजियम की संशोधित सिफारिश

    कॉलेजियम न्यायमूर्ति अकिल को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की संशोधित सिफारिश भेजी गई थी।

    23 सितंबर को सुनवाई के दौरान CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने याचिकाकर्ता गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार की उस दलील को मान लिया था, जिसमें कहा गया था कि फिलहाल कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति कुरैशी को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की संशोधित सिफारिश भेजी है, इसलिए केंद्र के इस नियुक्ति करने तक याचिका पर सुनवाई टाल दी जाए।

    पीठ ने कहा था कि जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर न्याय के प्रशासन की जड़ में हैं। इसलिए इस मुद्दे पर न्यायिक परीक्षण कड़ाई से सीमित है। न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप संस्था के लिए अच्छा नहीं है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों के कॉलेजियम ने केंद्र सरकार द्वारा भेजी रिपोर्ट और तथ्यों के आधार पर अपनी सिफारिश में संशोधन करते हुए जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश भेजी है।

    इससे पहले 27 अगस्त को केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को अपना जवाब भेज दिया था। केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी को प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने में असमर्थता जताई है।

    जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नज़रिया

    दरअसल 15 जुलाई को इस जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। ये सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को की थी। ये सिफारिश भी कॉलेजियम द्वारा उसी दिन की गई जिसके द्वारा न्यायमूर्ति डीएन पटेल की दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया गया है।

    याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति पटेल के प्रस्ताव पर केंद्र ने दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई की और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के CJ के रूप में कार्यभार संभाल लिया जबकि न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल को लंबित रखा गया है। इस बीच केंद्र ने 7 जून को न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया।

    याचिका में केंद्र सरकार को जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल की उपेक्षा को याचिका में उजागर करते हुए कहा गया है कि केंद्र द्वारा 10 मई के बाद न्यायिक नियुक्तियों की 18 फाइलों को मंजूरी दी गई है।बार के विरोध के बीच गुजरात उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरैशी को पिछले साल अक्टूबर में बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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