अगर आप लोगों को सालों तक जेल में डाल रहे हैं तो मुकदमे की क्या जरूरत? सुप्रीम कोर्ट ने एनसीबी से पूछा
LiveLaw News Network
8 Oct 2021 10:45 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत 66 वर्षीय आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से कहा,
"अगर आप लोगों को सालों तक जेल में डाल रहे तो मुकदमे की क्या जरूरत है?"
उक्त आरोपी लगभग चार वर्षों से जेल में बंद है।
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने आरोपी को 16 अक्टूबर 2017 से हिरासत में है और निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।
पीठ ने इस तथ्य पर विचार करने के बाद आरोपी को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता वरिष्ठ नागरिक है और सुनवाई में कोई प्रगति नहीं हुई है।
एनसीबी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता 35 किलोग्राम गांजा के साथ एक कमरे में पाया गया, जो वाणिज्यिक मात्रा से अधिक है।
सीजेआई रमाना ने तब एएसजी से पूछा,
"राजू मैं आपसे पूछना चाहता हूं। आपके अनुसार उन्हें कितने साल तक बिना मुकदमे के जेल में रखा जा सकता है?"
एएसजी ने कहा,
"पांच साल।"
सीजेआई ने टिप्पणी की,
"पांच क्यों? उसे 10 के लिए रखें, फिर ट्रायल की कोई आवश्यकता नहीं।"
सीजेआई ने टिप्पणी की,
"वह पहले से ही 66 साल का है, जब तक आप अपना ट्रायल पूरा करेंगे, तब तक वह वहां नहीं होगा।"
वर्तमान विशेष अनुमति याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट के 28 जनवरी 2020 के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई। इसमें याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा गया कि सह-आरोपी के कमरे से 35 किलोग्राम गांजा के साथ उसकी आशंका प्रथम दृष्टया कथित अपराध में उसकी भूमिका का खुलासा करती है।
हालांकि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को हिरासत में लिए जाने की अवधि को ध्यान में रखा और निचली अदालत को गवाहों की शीघ्र परीक्षा सुनिश्चित करने और एक वर्ष के भीतर मुकदमे का निष्कर्ष सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
केस: तपन दास बनाम भारत संघ
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