" COVID-19 से युद्ध में असंतुष्ट सैनिकों को नहीं रख सकते" : सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों व नर्सों को बेहतर आवास और वेतन की याचिका पर कहा

LiveLaw News Network

12 Jun 2020 4:17 PM IST

  •  COVID-19 से युद्ध में असंतुष्ट सैनिकों को नहीं रख सकते : सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों व नर्सों को बेहतर आवास और वेतन की याचिका पर कहा

     सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को COVID-19 महामारी से युद्ध लड़ रहे डॉक्टरों को उचित आवास सुविधा और वेतन नहीं देने के लिए फटकार लगाई, और याचिकाकर्ताओं को अपने सुझाव / चिंता स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को बताने के निर्देश दिए हैं।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता को सूचित किया कि इस मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए और सरकार को और भी कुछ करना चाहिए क्योंकि यह डॉक्टरों के स्वास्थ्य के संबंध में चिंता का विषय है।

    बेंच ने कहा,

    "हम इस COVID युद्ध में सैनिकों को असंतुष्ट होने नहीं दे सकते। डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है, ये बातें प्रकाश में आ रही हैं, यह क्या है?"

    डॉ जरियल बनैत, डॉ आरुषि जैन और वकील अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिकाओं में COVID-19 रोगियों के उपचार में शामिल चिकित्साकर्मियों के लिए उपयुक्त आवास और क्वारंटीन सुविधाएं प्रदान करने के लिए निर्देश मांगे गए हैं।

    इसमें आगे कहा है कि डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, अस्पताल के कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, एम्बुलेंस ऑपरेटर आदि "कोरोना वारियर्स" हैं और उन्हें हर कीमत पर संरक्षित और सुरक्षित किया जाना चाहिए।इसके लिए न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है जो पूरी तरह से काम करते हुए और अपने स्वयं के जीवन और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

    याचिका पर जवाब दाखिल करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हालांकि पर्याप्त उपाय और पर्याप्त प्रयास (उदाहरण के लिए, डॉक्टरों के लिए रहने के लिए 5-स्टार होटल) लिए गए हैं। लेकिन स्वास्थ्य देखभाल कर्मी स्वयं को संक्रमण से बचाने के लिए जिम्मेदार हैं।

    मंत्रालय की ओर से दायर एक हलफनामे में कहा गया है,

    " हालांकि स्वास्थ्य सुविधा में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति (HICC) संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण (IPC) गतिविधियों को लागू करने और HCW के लिए IPC के नियमित प्रशिक्षण के आयोजन के लिए जिम्मेदार हैं जबकि संक्रमण को रोकने और बचाव के लिए अंतिम जिम्मेदारी HCW की ही है।"

    पिछले महीने, शीर्ष अदालत ने COVID19 रोगियों के इलाज में शामिल चिकित्सा कर्मचारियों के लिए उपयुक्त आवास औरक्वारंटीन सुविधाओं तक पहुंच के मुद्दे पर केंद्र से निर्देश मांगे थे।

    शुक्रवार को पूर्वोक्त शपथ पत्र का हवाला देते हुए, वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा कि वह संतोषजनक नहीं है और फ्रंटलाइन HCW व उनके परिवारों के जोखिम को रोकने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों / सुझावों की आवश्यकता है।

    "एक विशिष्ट दिशानिर्देश की आवश्यकता है ताकि डॉक्टरों के परिवारों को खतरे में न डाला जाए।"

    विश्वनाथन ने HCW के संबंध में हलफनामे में प्रदान की गई SoP की विसंगतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रस्तुत किया कि डॉक्टरों और नर्सों के "उच्च जोखिम और कम जोखिम" की श्रेणियां अनुचित हैं और इससे HCW और उनके परिवारों के जोखिम में वृद्धि हुई।

    पीठ ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ हलफनामा मिला है और कहा कि दो पहलुओं पर विचार करना होगा:

    1. "उच्च जोखिम की इस समस्या को कैसे हल करें (COVID रोगियों को संभालने वाले डॉक्टरों के लिए)।

    2. अपेक्षित मापदंडों वाले डॉक्टरों के आवास के मुद्दे को हल करना "

    उपरोक्त के प्रकाश में न्यायमूर्ति एसके कौल ने एसजी तुषार मेहता को सूचित किया कि देश सैनिकों (COVID-19 लड़ाई की सीमा पर HCWs का जिक्र) को असंतुष्ट नहीं कर सकता है। इस समय, विश्वनाथन ने प्रस्तुत किया कि HCW को वेतन में कटौती के अधीन किया जा रहा है।

    "मेरे निर्देश हैं कि सरकारी डॉक्टरों को वेतन कटौती के अधीन किया जा रहा है और निजी डॉक्टरों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है। वे जिस तरह की परेशानी से गुजर रहे हैं, वह अतिरिक्त खतरा है।"

    बेंच ने इस सबमिशन पर HCW की चिंताओं को ठीक से नहीं बताने के लिए सरकार को फटकार लगाई।

    "डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है, ये बातें प्रकाश में आ रही हैं। यह क्या है? मुझे नहीं लगता कि जो हो रहा है वह होना चाहिए। आपको उनके लिए और अधिक करना चाहिए। उनकी चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए।"

    आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के संदर्भ में परिसर के अधिग्रहण के संबंध में विश्वनाथन द्वारा उ चित आवास की स्थापना के लिए सुझाव / चिंताओं को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपने का निर्देश दिया गया। यह मामला अब 17 जून को सूचीबद्ध किया गया है।

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