कोलेजियम सिस्टम सर्वोत्तम, पर जवाबदेही अनिवार्य: SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने लंबित MoP को जल्द अंतिम रूप देने की मांग की

Amir Ahmad

26 Nov 2025 12:28 PM IST

  • Senior Advocate Vikas Singh

    Senior Advocate Vikas Singh

    संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने जजों की नियुक्ति संबंधी मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) को शीघ्र अंतिम रूप देने की जोरदार अपील की। उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम अब भी सर्वोत्तम है लेकिन इसकी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है।

    विकास सिंह ने चीफ जस्टिस, कानून मंत्री और कोलेजियम के अन्य सदस्यों से आग्रह किया कि 2016 से लंबित MoP को तुरंत अंतिम रूप दिया जाए ताकि उच्च न्यायपालिका में नियुक्त होने वाले जजों की गुणवत्ता और चयन-प्रक्रिया की विश्वसनीयता और मजबूत हो सके। उन्होंने कहा कि कोलेजियम व्यवस्था तब तक पूर्ण नहीं हो सकती जब तक इसे कानूनी या प्रक्रियागत जवाबदेही से न जोड़ा जाए।

    उन्होंने कहा,

    “कोलेजियम सिस्टम सर्वोत्तम है लेकिन इसमें जवाबदेही तभी आएगी, जब संसद द्वारा इसे विनियमित किया जाए या फिर MoP को लागू किया जाए।”

    विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की बेंच पर नियुक्त करने के लिए पारदर्शी और नियमित तंत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका कहना था कि योग्य वकीलों से आवेदन आमंत्रित कर उनकी योग्यता की तुलना हाईकोर्ट के वकीलों से की जानी चाहिए ताकि सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं न्यायपालिका में आएं।

    उन्होंने कहा कि केवल चीफ जस्टिस के स्तर पर शुरू की गई कोई पहल बिना औपचारिक प्रक्रिया के सभी योग्य वकीलों तक नहीं पहुंच पाएगी। MoP में इस प्रक्रिया का स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए।

    सिंह ने जिला जजों की खराब स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। बिहार की एक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कई जगहों पर मुकदमों में इस्तेमाल होने वाला कागज़ तक क्लाइंट को खुद लाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न्याय प्रणाली की गरिमा के अनुरूप नहीं है और सरकार को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

    उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक जजों के नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाना चाहिए, क्योंकि कई जज सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर पहली बार कई जटिल विधायी क्षेत्रों से रूबरू होते हैं।

    NALSA के प्रयासों की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में अंतिम व्यक्ति तक कानूनी सहायता पहुंचाना अब भी बड़ी चुनौती है। इसके लिए मजबूतात्मक अवसंरचना बेहद आवश्यक है।

    उन्होंने भगवंदास रोड को सुप्रीम कोर्ट परिसर में शामिल किए जाने की मांग की ताकि वकीलों और न्यायालय से जुड़े लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं विकसित की जा सकें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वकीलों के लिए सामाजिक सुरक्षा का कोई ठोस ढांचा न होना चिंताजनक है और CGHS सुविधाएं सुप्रीम कोर्ट के नियमित प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को मिलनी चाहिए।

    अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि संविधान दिवस यह सोचने का दिवस होना चाहिए कि क्या संविधान अपने उद्देश्यों को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि न्याय तक वास्तविक पहुंच तीन स्तंभों उत्तम कानून निर्माण, प्रभावी न्याय-प्रणाली और जनसुलभ न्याय व्यवस्था पर निर्भर करती है।

    उन्होंने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की उस चिंता की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने विधायकों के लिए योग्यता निर्धारित न होने का उल्लेख किया था। विकास सिंह ने कहा कि आज जब काला धन और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार राजनीति में बढ़ रहे हैं तब यह आत्मचिंतन का समय है कि सही लोग संसद तक कैसे पहुंचें।

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