परिवार के भीतर यौन शोषण के शिकार बच्चों को समर्थन और समझ की जरूरतः जस्टिस हिमा कोहली
Avanish Pathak
25 Feb 2023 5:40 PM IST
सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि परिवार के भीतर यौन शोषण के शिकार बच्चों को समर्थन और समझ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के दुर्व्यवहार को प्रभावी ढंग से डील करने के लिए" समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण" आवश्यक है।
जज ने कहा, "इसके लिए जागरूकता बढ़ाने, यौन शिक्षा में सुधार करने, समुदायों के साथ जुड़ने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।"
जस्टिस कोहली दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (DCPCR) के तीसरे अंक "चिल्ड्रन फर्स्ट: जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" के विमोचन के अवसर पर मुख्य भाषण दे रही थी। पत्रिका का थीम "मूविंग ऑन- पैंडेमिक एंड बियांड" है।
जस्टिस कोहली ने कहा कि परिवार के भीतर बच्चों का यौन शोषण "बच्चे के भरोसे का घोर निंदनीय उल्लंघन और पारिवारिक रिश्तों के साथ एक अक्षम्य विश्वासघात" है, जिसका कई प्रभाव जैसे चिंता, अवसाद और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर लंबे समय तक रहते हैं।
“दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कई बार पारिवारिक सम्मान के नाम पर ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है या रिपोर्ट नहीं किया जाता है। पहले से ही आघात का सामना कर रहे है पीड़ित को दोषी महसूस कराया जाता है, जबकि निर्दोष बच्चे को किसी भी तरह से स्थिति के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। परिवार के बच्चों के यौन शोषण को प्रभावी ढंग से डील करने के लिए समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।"
जस्टिस कोहली ने इस बात पर जोर दिया कि एक साथ काम करके बच्चों के लिए एक सुरक्षित और अधिक सपोर्टिव वातावरण बनाया जा सकता है, ताकि उन्हें कष्टदायक अनुभवों से उबरने में मदद मिल सके।
उन्होंने कहा, "हालांकि इसके निशान लंबे समय तक बने रहते हैं।"
जस्टिस कोहली ने यह भी कहा कि परिवार के भीतर बच्चों का यौन शोषण एक संवेदनशील विषय है, जो अक्सर वर्जनाओं और चुप्पी में डूबा रहता है।
जस्टिस कोहली ने जोर देकर कहा कि माता-पिता और शिक्षकों के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के शुरुआती संकेतों को समझने और उनसे निपटने के लिए पर्याप्त रूप से सुसज्जित रहें, क्योंकि वे सबसे पहले बच्चे के भावनात्मक पैटर्न या व्यवहार में परिवर्तन वही नोटिस करते हैं।
जज ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लड़कियां अधिक प्रभावित हुई हैं और यह अनुमान है कि देश में लगभग 10 मिलियन माध्यमिक विद्यालय की लड़कियां महामारी के कारणस्कूल से बाहर हो गई होंगी, जिससे उन्हें कम उम्र में शादी, जल्दी गर्भधारण, गरीबी, तस्करी और हिंसा आदि का सामना करना पड़ सकता है।