यूनिटेक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रीति चंद्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका खारिज की

Sharafat

5 Aug 2023 8:42 AM GMT

  • यूनिटेक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रीति चंद्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (04.08.2023) को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि की, जिसने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा को जमानत दे दी थी।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आदेश पारित किया और चंद्रा को एनसीआर क्षेत्र नहीं छोड़ने और हर दो सप्ताह में एक बार जांच अधिकारी को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।

    शुरुआत में ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि जांच एजेंसी के पास मामले में चंद्रा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने कहा-

    " बेंटले, लेम्बोर्गिनी विदेश भेजी जा रही हैं...वह पुलिस के साथ मिलकर जेल में समानांतर ऑफिस चला रही थीं...अब वह डोमिनिकन गणराज्य की नागरिक हैं। "

    उन्होंने तर्क दिया कि चंद्रा को केवल इस तथ्य के कारण जमानत नहीं दी जानी चाहिए कि वह एक महिला हैं।

    जस्टिस पारदीवाला ने इस पर टिप्पणी की,

    " इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसके खिलाफ प्रचुर सबूत हैं। समस्या यह है कि वह पहले ही 600 से अधिक दिन जेल में बिता चुकी है। वह एक महिला है। "

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-

    " यह ऐसा मामला नहीं है जहां हम हाईकोर्ट के विवेक में हस्तक्षेप कर रहे हैं। यही एकमात्र चीज है। हम जानते हैं कि केमैन द्वीप में कितना पैसा गया है। सौभाग्य से यह हमारे आदेश के कारण यह प्रकाश में आया। भाई एमआर शाह और मैंने इसे ट्रैक किया...। "

    संदर्भ के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 45 अदालत को जमानत देने का विवेकाधिकार देती है जहां आरोपी एक महिला है।

    अदालत ने कहा-

    " प्रतिवादी 620 दिनों से अधिक की हिरासत से गुजर चुकी है। चूंकि अपने विवेक का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि प्रतिवादी को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। "

    हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि-

    (i) प्रीति चंद्रा एनसीआर क्षेत्र की सीमा नहीं छोड़ेंगी।

    (ii उन्हें हर दो सप्ताह में एक बार जांच अधिकारी को रिपोर्ट करनी चाहिए और

    (iii) वह विशेष न्यायालय की विशिष्ट अनुमति के बिना किसी भी संपत्ति का निपटान नहीं करेंगी।

    जैसे ही कार्यवाही समाप्त हुई चंद्रा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने चंद्रा को डोमिनिकन गणराज्य की नागरिकता छोड़ने का निर्देश दिया था। सिब्बल ने इस संबंध में अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं और कहा कि यदि उनके मुवक्किल को भारतीय नागरिकता नहीं दी गई तो उनके राज्यविहीन होने का खतरा होगा।

    इस सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि-

    " ..हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रतिवादी ने पहले ही डोमिनिकन गणराज्य की अपनी नागरिकता छोड़ने के लिए आवेदन कर दिया है और बिना शर्त अपनी नागरिकता छोड़ने का अंडर टेकिंग देती है। वह तुरंत ऐसा करेंगी और एक पखवाड़े के भीतर विशेष न्यायाधीश को अनुपालन की रिपोर्ट देगी मामले के उस दृष्टिकोण में विद्वान वरिष्ठ वकील द्वारा यह कहा गया है कि प्रतिवादी भारतीय अधिकारियों के पास नागरिकता के लिए आवेदन करेगी। आवेदन पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।' '

    मामले की पृष्ठभूमि

    पिछले साल नवंबर में ट्रायल कोर्ट ने "बड़े लेन-देन की के आरोपों की गंभीरता" को ध्यान में रखते हुए चंद्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। यूनिटेक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ घर खरीदारों की शिकायतों के आधार पर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था।

    ईडी ने वर्ष 2021 में यूनिटेक ग्रुप और उसके प्रमोटरों के खिलाफ इस आरोप पर पीएमएलए मामला दर्ज किया था कि मालिकों संजय और अजय चंद्रा ने अवैध रूप से साइप्रस और केमैन द्वीप को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की। मामले में ईडी की ओर से चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

    जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आवास परियोजनाओं के लिए घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया और आरोपी व्यक्तियों ने मनी लॉन्ड्रिंग की।

    ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रीति चंद्रा को अपराध से 107 करोड़ रुपये की आय उनकी कंपनी "प्रकौसली इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड" में प्राप्त हुई, लेकिन उन्होंने संबंधित राशि के उपयोग का खुलासा नहीं किया।

    केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम प्रीति चंद्रा

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