उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे: अयोग्यता की कार्यवाही तेज करने के लिए उद्धव गुट ने महाराष्ट्र स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Shahadat

30 Sept 2023 12:58 PM IST

  • उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे: अयोग्यता की कार्यवाही तेज करने के लिए उद्धव गुट ने महाराष्ट्र स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

    शिवसेना संकट के अन्य घटनाक्रम में उद्धव ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी सेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई के लिए शेड्यूल जारी करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    उद्धव ठाकरे गुट के अनुसार, जिस कार्यक्रम के अनुसार सुनवाई की प्रक्रिया 6 अक्टूबर से शुरू होगी और 23 नवंबर तक चलेगी, वह समय बर्बाद करने का एक और प्रयास है। यदि शेड्यूल का पालन किया जाता है तो स्पीकर का फैसला दिसंबर में या उसके बाद भी आने की संभावना है। ठाकरे गुट ने जल्द सुनवाई की मांग की है।

    18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में स्पीकर द्वारा की गई देरी पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करने के बाद शेड्यूल जारी किया गया था। न्यायालय ने कहा था कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चित काल तक विलंबित नहीं कर सकते हैं और न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस साल संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए पूछा था,

    "अदालत के 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया? जिसमें स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर "उचित अवधि" के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया गया था।"

    पीठ ने कहा था कि छप्पन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर दोनों पक्षकारों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर कुल चौंतीस याचिकाएं लंबित हैं। पीठ ने तब निर्देश दिया कि याचिकाओं को एक सप्ताह की अवधि के भीतर स्पीकर के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिस पर स्पीकर को रिकॉर्ड पूरा करने और सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने के लिए प्रक्रियात्मक निर्देश जारी करना होगा।

    ये निर्देश शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता सुनी प्रभु द्वारा दायर याचिका में पारित किए गए, जिसमें एकनाथ शिंदे के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा शीघ्र निर्णय लेने की मांग की गई। याचिका संविधान पीठ के फैसले में दिये गये निर्देशों से संबंधित है।

    11 मई, 2023 के संविधान पीठ के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह उद्धव ठाकरे सरकार की बहाली का आदेश नहीं दे सकता, क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था।

    इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करने से इनकार कर दिया था। तदनुसार, अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं के निर्धारण का निर्णय स्पीकर को सौंप दिया और कहा कि स्पीकर को "उचित अवधि के भीतर अयोग्यता पर निर्णय लेना चाहिए।

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