UAPA के तहत गिरफ्तारी रद्द: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- गिरफ्तारी के लिखित कारण बताना अनिवार्य, कोर्ट का समझाना पर्याप्त नहीं
Amir Ahmad
23 Oct 2025 12:53 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत गैरकानूनी गतिविधियों और साजिश के अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द कर दिया।
न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि गिरफ्तारी के लिखित कारण प्रदान करने की अनिवार्य आवश्यकता का पालन नहीं किया गया।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि रिमांड रिपोर्ट में गिरफ्तारी के कारण मौजूद हैं और वह आरोपी को दी जाती है या अदालत उन्हें समझाती है तो UAPA की धारा 43बी के तहत अनिवार्य शर्त पूरी हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा,
"यह कहना पर्याप्त है कि जिस अदालत के समक्ष गिरफ्तार किए गए लोगों को पेश किया जाता है, उसके द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण, आरोपी को हिरासत में लेते समय गिरफ्तारी के कारण प्रस्तुत करने का पर्याप्त अनुपालन कभी नहीं हो सकता।"
कोर्ट ने कहा कि रिमांड के समय क्षेत्राधिकार वाली अदालत द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण जिसके बाद रिमांड आदेश में यह इंगित किया जाता है कि गिरफ्तारी के कारण समझा दिए गए, UAPA की धारा 43बी का पर्याप्त अनुपालन नहीं माना जाएगा।
यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका से संबंधित था। आरोप था कि याचिकाकर्ताओं में से एक हिज़्ब-उत-तहरीर (HuT) संगठन का नेता था और वह अपने यूट्यूब चैनल डॉ. हमीद हुसैन टॉक्स के माध्यम से भारत में लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए इस्लामिक शासन लागू करने हेतु युवा इस्लामवादियों को उकसा रहा था।
आरोपी व्यक्तियों पर IPC की धारा 153ए, 153बी, 120बी, और 34 तथा UAPA की धारा 13 और 18 के तहत अपराध लगाए गए। उन्होंने इस आधार पर गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी कि उन्हें गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में प्रदान नहीं किए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता या उनके साथ गिरफ्तार किए गए अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तारी के कारण लिखित में नहीं दिए गए।
NIA की एकमात्र दलील यह थी कि रिमांड के समय अदालत ने गिरफ्तारी के कारणों को विधिवत समझा दिया और उनके वकील को रिमांड रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करा दी गई।
एजेंसी के तर्क को खारिज करते हुए पीठ ने अपने पिछले फैसलों जैसे पंकज बंसल बनाम भारत संघ, प्रबीर पुरकायस्थ बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली), और विहान कुमार बनाम हरियाणा राज्य पर भरोसा किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि गिरफ्तारी के लिखित कारण प्रदान करना अनिवार्य सुरक्षा उपाय है।
खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला,
"हम यह मानने के लिए इच्छुक हैं कि वर्तमान अपील केवल इस आधार पर सफल होने योग्य है। याचिकाकर्ता को हिरासत में लेते समय गिरफ्तारी के कारण प्रस्तुत करने की अनिवार्यता का अनुपालन नहीं किया गया।"
हालांकि, हाईकोर्ट का आदेश रद्द करने और गिरफ्तारी तथा रिमांड के आदेश को निरस्त करने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने NIA को कानूनी रास्ता अपनाने की स्वतंत्रता दी ताकि यदि मामला बनता है तो वह कानूनी प्रक्रिया का कठोरता से पालन करते हुए आरोपियों को दोबारा गिरफ्तार कर सके।

