त्रिपुरा चुनाव- 'उम्मीदवारों को मतदान की अनुमति नहीं; पूरी तरह से तबाही': कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की
LiveLaw News Network
26 Nov 2021 12:26 PM IST
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को त्रिपुरा नगर निकाय चुनावों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक नई याचिका का उल्लेख किया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एडवोकेट सिब्बल ने प्रस्तुत किया,
"यौर लॉर्डशिप आपने गुरूवार को निर्देश दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों को चुनाव प्रक्रिया की पूर्ण रिपोर्टिंग और कवरेज के लिए निर्बाध पहुंच होनी चाहिए। हमारे पास टाइम्स नाउ और अन्य प्रिंट हैं। मीडिया कह रही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है! उम्मीदवारों को बूथों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई! सीएपीएफ के 2 कांस्टेबल, 2 बटालियन प्रदान नहीं किए गए! पूरी तबाही है!"
आगे कहा कि कृपया इसे आज दोपहर में लें! जो हुआ वह भयानक है हमारे पास जमीन पर मौजूद लोगों की तस्वीरें हैं जो दिखाती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया! यह बहुत गंभीर है इसलिए मैं इसका उल्लेख कर रहा हूं! परिणाम घोषित होने हैं! यदि आज संभव नहीं है, तो कृपया इसे कल यानी शनिवार लें।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि पीठ उस आदेश से अलग संयोजन में बैठी है जिसने आदेश पारित किया था, जिसके उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि आज हमारा बहुत टाइट शेड्यूल है। संवैधानिक दिवस की वजह से कल (शनिवार) हमारे आधिकारिक कार्यक्रम हैं।
सिब्बल ने जोर देकर कहा कि मामले की सुनवाई शुक्रवार को ही शाम 4 बजे हो सकती है, तो न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह दोपहर के भोजन के बाद अनुरोध पर विचार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को त्रिपुरा में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए मतदान के दौरान हिंसा के आरोपों के मद्देनज़र, त्रिपुरा सरकार के गृह सचिव, राज्य चुनाव आयोग और पुलिस महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि हर मतदान केंद्र पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों की पर्याप्त संख्या हो।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने 770 मतदान केंद्रों में से प्रत्येक में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश पारित किए थे।
पीठ ने त्रिपुरा के डीजीपी और गृह विभाग के सचिव को सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने और जरूरत पड़ने पर सीआरपीएफ की अतिरिक्त बटालियन की मांग करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को चुनाव प्रक्रिया की पूरी कवरेज देने के लिए निर्बाध पहुंच दी जानी चाहिए।
पीठ ने रिट याचिकाकर्ता अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), मध्यस्थ को सुनने के बाद निर्देश पारित किया।
दोनों विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने शांतिपूर्ण चुनाव को बाधित करने के लिए हिंसा की और इसमें पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत थी।
23 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई को पीठ ने तृणमूल कांग्रेस द्वारा आज होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने की याचिका को ठुकरा दिया था। हालांकि, पीठ ने त्रिपुरा के डीजीपी और आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) को यह सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो।
अदालत ने पुलिस से विपक्षी सदस्यों की शिकायतों को शांत करने के लिए " निष्पक्ष" और "गैर-पक्षपातपूर्ण" तरीके से कार्य करने को कहा। अदालत ने त्रिपुरा पुलिस को तृणमूल कांग्रेस सदस्यों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर की गई कार्रवाई का संकेत देते हुए एक चार्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।