न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूत करने मेंं मुझे बार के युवा सदस्यों से बड़ी उम्मीदें हैं: न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता

LiveLaw News Network

8 May 2020 10:00 AM IST

  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता को मजबूत करने मेंं मुझे बार के युवा सदस्यों से बड़ी उम्मीदें हैं: न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता

    6 मई, 2020 को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस दीपक गुप्ता को विदाई देने के लिए सुप्रीम कोर्ट यंग लाॅयर फोरम ने गुरुवार को एक वर्चुअल फेयरवेल कार्यक्रम का आयोजन किया।

    तीन साल से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में काम करने वाले जस्टिस दीपक गुप्ता का बुधवार को शीर्ष अदालत में अंतिम कार्य दिवस था। उन्होंने 15 फरवरी, 2017 को एससी जज का पद ग्रहण किया था।

    समारोह की अध्यक्षता न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और बतौर मुख्य अतिथि भारत के पूर्व अटाॅर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मुकुल रोहतगी ने की। अन्य विशिष्ट अतिथियों में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अमन लेखी, श्री यू.के. उनियाल, श्री मनोज स्वरूप और श्री विकास पाहवा शामिल थे।

    यह वेबिनार लगभग दो घंटे तक चला ,जिसमें डॉ.अभिषेक अत्रे ने अपना धन्यवाद प्रस्ताव भी रखा।

    सुप्रीम कोर्ट यंग लाॅयर फोरम के अध्यक्ष श्री विकास बंसल ने कहा कि यह वास्तव में पूरी कानूनी बिरादरी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और उन्होंने न्यायमूर्ति गुप्ता को भावी पीढ़ी के लिए एक ''प्रकाश स्तंभ'' बताया और उन्हें जन्मदिन की शुभकामना भी दी।

    न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता द्वारा एक न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पारित किए गए विभिन्न उल्लेखनीय निर्णयों का भी हवाला दिया गया, जिनमें इंडिपेंडेंट थाॅट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामला भी शामिल था। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने कहा कि यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक था।

    जस्टिस दीपक गुप्ता के बहुआयामी व्यक्तित्व और उनकी रूचि पर प्रकाश डालते हुए, विभिन्न वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बताया कि जस्टिस गुप्ता को फोटोग्राफी बहुत पसंद है और वह प्रकृति से भी बहुत प्रेम करते हैं।

    दिलचस्प बात यह है कि समारोह के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी ने कहा कि भले ही वह इस बात का आदर करते हैं, जो न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने देश में राजद्रोह कानूनों को तोड़ने के बारे में कही थी,परंतु वह इस बात से असहमत थे क्योंकि ''हमारे देश की स्थिति ऐसी है कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।''

    वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शिमला में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता से हुई मुलाकात के दिनों की याद ताजा की। जहां वह वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण जेटली के साथ एक मामले में पेश होने गए थे।

    ''मैं कहना चाहूंगा, हम उनका फिर से बार में स्वागत करते हैं'' - वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा।

    न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ ने सुबह की कॉफी के मुकाबलों के बारे में बताया,जो वह नियमित रूप से जस्टिस गुप्ता के साथ साझा किया करते थे।

    ''हम अपनी न्यायिक प्रणाली की धारणाओं, विचारों, मुद्दों के बारे में बात करते थे'' - न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़

    उन्होंने जूनियर के प्रति जस्टिस गुप्ता की दयालुता पर भी जोर दिया और कहा कि वह कभी भी ''नीरस''जज नहीं रहे और शायद यह ''पहाड़ियों की तेज हवाएं'' थीं, जो उनको ऐसा बनाती थीं (जस्टिस दीपक गुप्ता मूल रूप से हिमाचल प्रदेश राज्य के हैं)।

    जस्टिस दीपक गुप्ता ने आखिरकार वर्चुअल पोडियम संभाला और सभी को धन्यवाद दिया।

    जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा-

    ''आप सभी ने मुझे अपनी टिप्पणियों से प्रभावित किया है। मैंने युवाओं के लिए एक भाषण तैयार किया था। यहांं आए कुछ युवा वकीलों को देखकर मुझे अच्छा लगा है, क्योंकि यह युवा वकील मंच है। मैं यहाँ जो देख रहा हूंं वह यह है कि मैं सबसे छोटा हूंं, मुझे जूनियर वकीलों के प्रति एक विशेष सहानुभूति है।''

    उन्होंने युवा अधिवक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह देते हुए कहा कि सभी युवा वकीलों को ज्यादा से ज्यादा समय कोर्ट में बैठना चाहिए और उस ''वास्तविक जादू'' को सीखना चाहिए, जिसके साथ बार के वरिष्ठ सदस्य बहस करते हैं। न्यायमूर्ति गुप्ता ने युवा वकीलों को अदालत में ज्यादा से ज्यादा बहस करने की अनुमति देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

    अंत में न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट(जो तकनीकी खराबी के कारण समारोह को संबोधित नहीं कर सकें) ने कहा कि ''स्पष्ट या स्वतंत्र भाषण'' पर न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता का रुख सराहनीय है।

    ''लोकतंत्र तब तक कार्यात्मक है जब तक उसके नागरिक इसे क्रियाशील बनाते हैं। उनका (जस्टिस गुप्ता ) स्वतंत्र भाषण सराहनीय है।''- जस्टिस एस। रवींद्र भट

    यह आयोजन श्री उदय गुप्ता के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समाप्त हुआ और दाॅ सुप्रीम कोर्ट यंग लाॅयर फोरम से उपस्थित हुए सभी वकीलों के साथ एक सामूहिक स्क्रीनशॉट भी लिया गया।

    उल्लेखनीय अवतरण-चिह्न या समारोह में कही गई महत्वपूर्ण बातें

    जस्टिस दीपक गुप्ता ने बार के नौ जवान सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा,

    ''आपको कोर्ट क्राफ्ट सीखना होगा और आत्मविश्वासी बनना होगा। यदि आप अच्छी तरह से तैयार हैं तभी आप आश्वस्त हो सकते हैं। ठीक से जान सकते हैं कि कब स्वतंत्र अभ्यास या इंडिपेंडेंट प्रैक्टिस करनी है। बहुत जल्दी मत छोड़ो और एकदम झटके से मत छोड़ो।''

    ''मैं एक दशक से अधिक समय से जस्टिस दीपक गुप्ता को जानता हूं और न्यायिक प्रणाली के कई पहलु हमें एक साथ मिले हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी बहुत ही शीघ्र प्रभावित करने वाली है। वह आउट आॅफ द बाॅक्स सोचते हैं। उनके पास औपचारिकताओं के लिए कोई समय नहीं है।'' - जस्टिस एस.रवींद्र भट

    ''जस्टिस गुप्ता भारत के हिमाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक हैं। जो पूरी तरह से उनके जीवन के सभी क्षेत्रों में समा गया है ... जिसमें प्रकृति के लिए उनका प्यार और दैनिक सुबह की सैर के लिए उनका प्यार शामिल है, जिसे वह कभी नहीं भूलते हैं।'' - जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

    ''न्यायमूर्ति गुप्ता आए, एक छोटे से उच्च न्यायालय से। मेरा मतलब यह नहीं है कि यह कोई अपमान की बात है। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि न्यायमूर्ति गुप्ता को सर्वोच्च न्यायालय में किसी भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को वैसा ही समझा या लिया जैसे मछली पानी को मानती है। "- वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी

    '' बार एक जज का असली बैरोमीटर होता है। बार के पास बड़े सर्मसम्मत विचार होंगे। न्याय देना कोई आसान काम नहीं है। यह मायावी बात जिसे हम न्याय कहते हैं, सोचें कि हम सभी इससे सहमत होंगे।'' - वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी

    ''बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि आपने (न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता) बहुत सारे लोगों की अपने गृहनगर में चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में मदद की है।'' - वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा

    ''हमारे जज (न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता) एक बहु-प्रतिभाशाली, बहु-आयामी जज हैं। एक गहरे प्रकृतिवादी और एक बहुत ही गहराई वाले फोटोग्राफर भी हैं। वह हमसे संबंधित हैं, और जस्टिस दीपक गुप्ता सुप्रीम कोर्ट से संबंधित हैं - वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज स्वरूप

    ''मैं उनके प्रसिद्ध उद्धरण को इंगित करना चाहता हूं -'' बहुसंख्यकवाद लोकतंत्र का एक विरोधी है'' ठीक है, अलग-अलग दृष्टिकोण हैं ,लेकिन उनका निश्चित रूप से यह मतलब नहीं है कि असंतोष राष्ट्र-विरोधी है'' - वरिष्ठ वकील उमाकांत उनियाल ने जस्टिस दीपक गुप्ता के बारे में बताते हुए कहा।

    ''मैं देशद्रोह पर मिलाॅर्ड के भाषण से असहमत होना चाहता हूं, जहां उन्होंने कहा था कि देशद्रोह को हटा दिया जाना चाहिए। मैं कहना चाहता हूं और सम्मान से कहना चाहता हूं कि हमारे देश में स्थिति ऐसी है कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि वास्तव में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा एक स्टैंड और मजबूत स्टैंड लेना बहुत ही दुर्लभ है। मिलाॅर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता द्वारा मिलाॅर्ड की सीट पर बैठना गरिमापूर्ण है। उनके द्वारा छोड़े गए निशान या चिन्ह इस बात का पक्का संकेत होंगे कि सुप्रीम कोर्ट जैसी अदालत को अपना आचरण कैसे करना चाहिए''- वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी

    Next Story