टीएमसी नेता साकेत गोखले ने नूपुर शर्मा मामले में की गई टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट का कथित रूप से अपमान करने के लिए ऑपइंडिया के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की
Brij Nandan
4 July 2022 9:30 AM IST
टीएमसी नेता साकेत गोखले (Saket Gokhale) ने भारत के महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur) के मामले में की गई मौखिक टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का कथित रूप से अपमान करने के लिए वेब पोर्टल ओपइंडिया के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही (Criminal Contempt Proceedings) शुरू करने की मांग की।
इस हफ्ते की शुरुआत में शीर्ष अदालत ने नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर दर्ज एफआईआर को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने नूपुर शर्मा को फटकार लगाई। इसके बाद कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोर्ट पर टिप्पणियां की गईं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ''परेशान करने वाले'' बयान देने के लिए भाजपा के पूर्व प्रवक्ता की खिंचाई की। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि उसने केवल "सशर्त माफी" मांगी, वह भी अपनी टिप्पणी के खिलाफ सार्वजनिक हंगामे के बाद।
पत्र याचिका में, गोखले ने अपने ट्वीट और लेखों पर वेब पोर्टल के खिलाफ अवमानना कार्रवाही की मांग करते हुए दावा किया है कि यह न केवल लोगों के मन में सुप्रीम कोर्ट की अखंडता पर आक्षेप डालता है बल्कि वे देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को बदनाम करने का भी प्रयास करते हैं।
पत्र में वेब पोर्टल के अलावा इसकी संपादक नुपुर जे शर्मा के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की गई है।
यह पत्र ऑपइंडिया द्वारा प्रकाशित 1 जुलाई के एक ट्वीट को संदर्भित करता है जिसमें लिखा है,
"सुप्रीम कोर्ट इस्लामवादियों की तरह बोलता है। नुपुर शर्मा की 'ढीली जीभ' को इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू व्यक्ति के सिर काटने के लिए दोषी ठहराता है।"
पत्र में कहा गया है कि उक्त ट्वीट के साथ "सुप्रीम कोर्ट शरीयत का अनुसरण करता है?" शीर्षक वाला एक लेख था।
पत्र में लिखा है,
"ऑपइंडिया के उपर्युक्त ट्वीट और उनके द्वारा प्रकाशित और उनके संपादक नुपुर जे शर्मा द्वारा लिखे गए लेखों के बयान स्पष्ट रूप से आम भारतीयों के दिमाग में भारत के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करते हैं और भारत के सुप्रीम कोर्ट की संबंधित डिवीजन बेंच द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों पर गंभीर, झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाते हैं।"
गोखले ने पत्र में कहा है कि कथित कृत्य स्पष्ट रूप कोर्ट्स की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (b)(i) के तहत अदालत की आपराधिक अवमानना के रूप में दंडनीय है।
इस प्रकार पत्र में ऑपइंडिया वेबसाइट और इसकी संपादक नुपुर जे शर्मा के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एजी से सहमति मांगी गई है।
आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: