यह केस बोलने की स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक पल, पुनर्विचार के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए मैं आदरपूर्वक जुर्माना अदा करूंगा : प्रशांत भूषण

LiveLaw News Network

31 Aug 2020 12:32 PM GMT

  • यह केस बोलने की स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक पल, पुनर्विचार के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए मैं आदरपूर्वक जुर्माना अदा करूंगा : प्रशांत भूषण

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना ​​मामले में सजा के ऐलान के बाद एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सोमवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह पुनर्विचार की मांग के अधिकार को सुरक्षित रखते अदालत द्वारा लगाए गए एक रुपये के जुर्माने का भुगतान करेंगे।

    प्रशांत भूषण ने कहा,

    "भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मेरे खिलाफ अवमानना ​​मामले पर अपना फैसला सुनाया है। इसने मुझे अदालत की अवमानना ​​का दोषी माना है और एक रुपए का जुर्माना लगाने का फैसला किया है, और जुर्माना न भरने पर तीन महीने की कैद और मुझे तीन साल के लिए लॉ प्रैक्टिस करने से रोक दिया जाएगा।"

    "मैंने अदालत को अपने पहले बयान में पहले ही कहा था कि मैं यहां किसी भी दंड को खुशी-खुशी स्वीकार करने के लिए तैयार हूं, जो कि अदालत ने अपराध के लिए निर्धारित किया है, और मुझे लगता है कि यह एक नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य है।"

    - प्रशांत भूषण

    जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को एक रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई। जुर्माना 15 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करना है।

    भूषण ने यह भी कहा है कि वे दोषी ठहराए जाने और सजा के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने का अधिकार सुरक्षित रखने के साथ ही, ठीक उसी तरह से जुर्माना अदा करेंगे, जिस तरह से किसी अन्य कानूनी सजा के मामले में करना होता है।

    उन्होंने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की संस्था के लिए उनके मन में "बड़ा आदर" है और उन्होंने हमेशा इसे विश्वास का आखिरी गढ़ माना है, विशेष रूप से कमजोर और उत्पीड़ितों के लिए जो शक्तिशाली कार्यकारी के खिलाफ अपने अधिकार के संरक्षण के लिए अक्सर इसके दरवाजे पर दस्तक देते हैं।

    भूषण ने अपने पहले के रुख को भी दोहराया कि उनके ट्वीट किसी भी तरह से सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका का अनादर करने के इरादे से नहीं थे, बल्कि केवल पीड़ा को व्यक्त करने के लिए थे, जो उन्होंने महसूस की थी।

    "यह मुद्दा मेरे बनाम माननीय न्यायाधीशों के बारे में कभी नहीं था। जब भारत का सर्वोच्च न्यायालय जीतता है, तो हर भारतीय जीतता है। हर भारतीय एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका चाहता है। जाहिर है अगर अदालतें कमजोर होती हैं तो इससे गणतंत्र कमज़ोर होता और हर नागरिक को परेशान करता है। " - भूषण अपने बयान में

    भूषण ने अपने समर्थन में आए अनगिनत व्यक्तियों, पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों, कार्यकर्ताओं और साथी नागरिकों का एकजुटता के लिए आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें अपनी मान्यताओं और विवेक के प्रति दृढ़ और सच्चे रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

    उन्होंने कहा, उन सभी ने मेरी इस आशा को मजबूत किया कि यह ट्रायल देश की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायिक जवाबदेही और सुधार के कारण का ध्यान आकर्षित कर सकता है।

    भूषण ने अपने अवमानना ​​मामले को "बोलने की स्वतंत्रता के लिए एक ऐतिहासिक पल कहा है, जिसने कई लोगों को समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होने और बोलने के लिए प्रोत्साहित किया।

    उन्होंने कहा, "बहुत खुशी की बात है कि यह मामला बोलने की स्वतंत्रता के लिए एक ऐतिहासिक पल बन गया है और लगता है कि कई लोगों को हमारे समाज में अन्याय के खिलाफ खड़े होने और बोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।"

    अंत में, भूषण ने अपनी लीगल टीम - वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और दुष्यंत दवे को धन्यवाद दिया।

    उन्होंने " लोकतंत्र ज़िंदाबाद" और "सत्यमेव जयते" के साथ अपने बयान समाप्त किया।

    बयान पढ़ें



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