ये स्व- रोजगार पैदा करने वाली याचिकाएं हैंं : लॉकडाउन के दौरान याचिकाओं पर सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
LiveLaw News Network
15 April 2020 3:04 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नर्सों और स्वास्थ्य कर्मचारियों, सफाई कर्मचारियों के संरक्षण और सुरक्षा के अलावा उन प्रवासी कामगारों को मज़दूरी के भुगतान के लिए, जो देशव्यापी तालाबंदी के कारण बिना काम के रह गए हैं, कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।
जब स्वामी अग्निवेश की याचिका, जिसमें कोरोनोवायरस संकट के दौरान गरीबों को तत्काल राहत प्रदान किए जाने की मांग की गई थी, सुनवाई के लिए आई तो वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस, जो स्वामी अग्निवेश के लिए पेश हुए थे, ने कहा था कि लॉकडाउन ने एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है और ऐसा नहीं है कि सॉलिसिटर जनरल जो दावा कर रहे हैं, उस पर जमीनी कार्रवाई की जा रही है। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उक्त याचिका के औचित्य पर चिंता व्यक्त की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,
"इस विशेष याचिका के संबंध में मेरे पास गंभीर आरक्षण हैं। ये स्व- रोजगार पैदा करने वाली याचिकाएं हैं। इस तरह की याचिकाओं का कोर्ट को मनोरंजन नहीं करना चाहिए। मुझे इस तरह की याचिकाओं के बारे में गंभीर समस्याएं हैं।"
दरअसल केंद्र ने कोरोनोवायरस महामारी के मद्देनजर 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के कारण काम पर गए प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी के भुगतान के लिए एक्टिविस्ट द्वारा दायर याचिकाओं का भी कड़ा विरोध किया था।
3 अप्रैल को, प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर हर्ष मंदर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि "जब तक देश इस संकट से बाहर नहीं निकलता तब तक PIL की दुकानें बंद होनी चाहिए।"
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि "वातानुकूलित कार्यालय में बैठकर बिना किसी जमीनी स्तर की जानकारी या ज्ञान के जनहित याचिका तैयार करना 'सार्वजनिक सेवा नहीं है।"