ज‌स्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, बच्‍चों के लिए बने कानूनों के आदर्शों और क्र‌ियान्वयन के बीच गहरी खाई

LiveLaw News Network

16 Dec 2019 9:51 AM GMT

  • ज‌स्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, बच्‍चों के लिए बने कानूनों के आदर्शों और क्र‌ियान्वयन के बीच गहरी खाई

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, "यह स्पष्ट है कि बाल कल्याण कानून जैसे कि किशोर न्याय अधिनियम और पोक्सो के आदर्शों और क्र‌ियान्वयन के बीच गहरी खाई है। मेन-स्ट्रीमिंग में समस्या है, जहां अलग-अलग मामलों को बिना उनकी बार‌ीकियों पर ध्यान द‌िए निपटाया जाता है।"

    सुप्रीम कोर्ट के जज ज‌स्टिस चंद्रचूड़ यूनिसेफ और सुप्रीम कोर्ट कमेटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय किशोर न्याय परामर्श समारोह में मुख्य भाषण दे रहे थे।

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का विचार था कि भारत में बच्चे अक्सर " ‌विरासत में अपराध" पाते हैं, वे बदनसीबी के हालात में पैदा होते हैं, जो उन्हें नशे और हिंसा की ओर धकेल देता है।

    गरीबी और किशोर अपराधों के बीच के रिश्ते की ओर इशारा करते हुए हुए उन्होंने NCRB के आंकड़ों का हवाला दिया, जो बताता है कि 2015 में मोटे तौर पर 42% बाल अपराधी उन परिवारों से आए थे, जिनकी वार्षिक आय 2500 रुपए से कम थी और लगभग 28%, उन परिवारों से थे, जिनकी वार्ष‌िक आय 25,000 से 50,000 के बीच थी, जबकि उच्च आय वर्ग के परिवारों से आए अपराधियों की संख्या 2% से कम थी।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभाव और गरीबी के पहलुओं पर केंद्रित एक अधिक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, हमें जुवेनाइल जस्टिस स‌िस्टम में विभिन्न हितधारकों जैसे सरकार से लेकर नागरिक समाज से लेकर निजी क्षेत्र तक, द्वारा निभाई गई भूमिकाओं जैसे अवरचनात्मक सहयोग और मानवीय हस्तक्षेप आदि की जांच करने की आवश्यकता है।"

    यह मानते हुए कि "हमारे पास जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम के कार्यान्वयन को लेकर आशावान होने के कुछ कारण है", उन्होंने जबलपुर में एक ऑब्जर्वेशन होम में किए एक पायलट प्रोजेक्ट, जिसमें बाल अपराधियों की आर्थिक स्वतंत्रता और कौशल विकास पर काम किया गया है, की चर्चा करते हुए बताया कि वहां बच्‍चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है और बागवानी, संगीत, संस्कृति और हस्तशिल्प आदि में कमाए गए उनके पैसे को उनके संयुक्त खातों में जमा किया जाता है। उन्होंने गुजरात राज्य द्वारा प्रयोग किए गए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल, जिसके जरिए चाइल्ड केयर संस्‍थानों में बच्‍चों के जीवन के हालात और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड के इस्तेमाल को स्ट्रीमलाइन किया गया, की भी सराहना की।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने किशोरों की मुख्यधारा में अस्मिता को सुनिश्चित करने, उनके पुनर्वास और देखभाल के ढांचे में गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज की भूमिका की भी सराहना की गई।

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अंत में जोर देकर कहा कि भारतीय समाज के कुछ सबसे कमजोर बच्चों के मामलों को निस्तारण करते हुए जुवेनाइल ज‌‌स्टिस सिस्टम "अवैयक्तिक" प्रणाली के रूप में काम नहीं कर सकती है और उन्होंने आग्रह किया कि सभी पदा‌‌धिकारियों को ऐसे बच्चों के लिए करूणामयी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

    भाषण का पूरा पाठ डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें


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