अपनी शिकायत गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बताएं : सुप्रीम कोर्ट ने GHCAA प्रेसिडेंट यतिन ओझा से कहा

LiveLaw News Network

16 Jun 2020 4:13 PM IST

  • अपनी शिकायत गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बताएं : सुप्रीम कोर्ट ने GHCAA प्रेसिडेंट यतिन ओझा से कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ वकील, गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोस‌िएशन (GHCAA) के अध्यक्ष यतिन ओझा को राहत देने से इनकार कर दिया। ओझा ने गुजरात हाईकोर्ट और उसकी रजिस्ट्री के खिलाफ "कथित अपमानजनक टिप्पणी" के लिए गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जारी किए गए स्वतः संज्ञान मामले के तहत आपराधिक अवमानना ​​नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने ओझा की ओर से पेश होने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के याचिका वापस लेने के साथ इस मामले का निपटान कर दिया।

    वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि ओझा के खिलाफ बिना किसी आधार के "क्रोध" के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस जारी किया गया था।

    मुख्य न्यायाधीश बोबडे : किसने आपको बताया कि वे आपसे नाराज थे? आपके लगाए गए आरोपों पर हाईकोर्ट ने असहमति दी है।

    जब वरिष्ठ वकील अरविंद दातार और सिंघवी ने अपने मुवक्किल ओझा के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की तो सीजेआई एसए बोबडे ने पेश दलील पर असंतोष व्यक्त किया।

    सिंघवी: "मेरे साथ अन्याय हुआ है [ओझा]"

    मुख्य न्यायाधीश: "इस तरह के आरोप न लगाएं। उच्च न्यायालय [गुजरात] के मुख्य न्यायाधीश को अपनी शिकायत बताएं। हम इसे नहीं सुनेंगे।"

    इस पर, सिंघवी ने याचिका वापस लेने का फैसला किया।

    गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोस‌िएशन (GHCAA)के अध्यक्ष यतिन ओझा के खिलाफ फेसबुक पर एक लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस के ‌दर‌म‌ियान हाईकोर्ट और उसकी रजिस्ट्री के खिलाफ 'अपमानजनक टिप्पणी' करने के आरोप में आपराधिक अवमानना ​​नोटिस जारी होने के बाद यतिन ओझा ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

    गुजरात हाईकोर्ट ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एनवी अंजारिया ने पीठ ने कहा था,

    'जैसा कि बार अध्यक्ष ने अपनी निंदनीय अभिव्यक्तियों और अंधाधुंध और आधारहीन बयानों से हाईकोर्ट की प्रतिष्ठा और महिमा को गंभीर नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है और इस प्रकार स्वतंत्र न्यायपालिका को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है, क्योंकि पूरे प्रशासन की छवि को भी नीचा दिखाने का प्रयास किया है और प्रशासनिक शाखा के बीच निराशजनक प्रभाव पैदा किया है, यह कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत प्रदत्त शक्तियों के का प्रयोग कर प्रथम दृष्टया उन्हें न्यायालय अवमानना अधिनियम की धारा 2 (c) के अर्थ में कोर्ट की आपराधिक अवमानना के लिए जिम्मेदार मानती है और उक्त अधिनियम की धारा 15 के तहत उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​का संज्ञान लेती है।'

    फेसबुक पर अपने लाइव कांफ्रेंस में ओझा ने हाईकोर्ट और उसकी रजिस्ट्री पर निम्नलिखित आरोप लगाए थे।

    -गुजरात हाईकोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा भ्रष्ट आचरण किया जा रहा है;

    -हाई-प्रोफाइल उद्योगपति, तस्करों और देशद्रोहियों को अनुचित फेवर दिया जा रहा है।

    -हाईकोर्ट प्रभावशाली और अमीर लोगों और उनके वकीलों के लिए काम कर रहा है।

    -अरबपति हाईकोर्ट के आदेश से दो दिनों में मुक्त हो जा रहे हैं, जबकि गरीब और गैर-वीआईपी को कष्ट उठाना पड़ रहा है।

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