सूरत में बच्ची से रेप और हत्या : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को फांसी के लिए 29 फरवरी के डेथ वारंट पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

20 Feb 2020 7:16 AM GMT

  • सूरत में बच्ची से रेप और हत्या : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को फांसी के लिए 29 फरवरी के डेथ वारंट पर रोक लगाई

    गुजरात के सूरत में तीन साल की बच्‍ची से बलात्कार और हत्या के दोषी की फांसी के लिए 29 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

    गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने सूरत की पोक्सो अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट पर रोक लगा दी।सुनवाई के दौरान दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि हाईकोर्ट द्वारा मौत की सजा की पुष्टि करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 60 दिनों का समय था लेकिन इससे पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया।

    इस पर मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि पहले ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि डेथ वारंट तब तक जारी नहीं किया जा सकता जब तक कि दोषी सारे कानूनी उपचार पूरे ना कर ले।

    मुख्य न्यायाधीश ने सवाल उठाया, " जज कैसे ऐसे आदेश जारी कर सकते हैं। न्यायिक प्रक्रिया इस तरह नहीं हो सकती।"

    पीठ ने अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले में ध्यान देने को कहा। दरअसल पीठ ने केंद्र सरकार की उस पीठ पर सुनवाई की सहमति जताई है जिसमें मौत की सजा के मामलों में समय-सीमा निर्धारित करने का अनुरोध किया गया है।

    इससे पहले 27 दिसंबर 2019 को गुजरात हाईकोर्ट ने पुष्टि कर दी थी। दोषी अनिल यादव ने अक्टूबर 2018 में सूरत तीन साल की बच्ची से बलात्कार किया था और फिर बाद में उसकी हत्या कर दी थी। अगस्त 2019 में सूरत के लिम्बायत क्षेत्र में साढ़े तीन साल की बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या करने वाले को स्पेशल पोक्सो कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। इस मामले में करीब नौ महीने सुनवाई चली थी जिसके बाद दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई। बच्ची के परिजनों ने बलात्कार के बाद हत्या करने वाले अनिल यादव को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की थी।

    गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 2018 की शाम पीड़ित बच्ची अपने घर के पास खेल रही थी। तभी उसी बिल्डिंग में रहने वाला 20 वर्षीय अनिल यादव बहला-फुसलाकर बच्ची को उठा ले गया। वह उसे अपने कमरे में ले गया जहां मासूम के साथ बलात्कार किया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी।

    लाश को प्लास्टिक बैग में डालकर एक ड्रम में छिपा दिया। पकड़े जाने के डर से वह 15 अक्टूबर को अपने कमरे पर ताला लगाकर फरार हो गया। पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू की। पता चला कि अनिल बिहार में है। पुलिस वहां गई और उसके मूल निवास से उसे गिरफ्तार किया। विशेष जांच टीम ने सिर्फ एक महीने में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट उसे दोषी करार दिया था और फिर मौत की सजा सुनाई।

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