सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले पर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज की

Sharafat

9 Jan 2023 11:16 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले पर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी), 2014 के आधार पर सहायक शिक्षक की भर्ती में अनियमितता, अवैधता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया गया था।

    जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओक की खंडपीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि जनहित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा अंतिम रूप से फैसला नहीं किया गया है। तदनुसार, यह नोट किया गया,

    "इस स्तर पर हम इस याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं। मामले में केवल नोटिस जारी किया गया है .. राज्य हाईकोर्ट के समक्ष योग्यता के आधार पर मामले का बचाव कर सकता है।

    बेंच ने आगे कहा,

    "क़ानून के सभी सवालों को खुला छोड़ दिया गया है।"

    पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट श्री राकेश द्विवेदी ने प्रस्तुत किया कि राज्य तीन आधारों पर रिट याचिका का विरोध कर रहा है।

    उन्होंने तर्क दिया कि

    1. सेवा मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

    2. भर्ती प्रक्रिया समाप्त होने के 8 साल बाद जनहित याचिका दायर की गई।

    3. इसी तरह की एक याचिका को हाईकोर्ट ने ही खारिज कर दिया था, इसलिए इसे फिर से उठाया नहीं जा सकता।

    विशेष अनुमति याचिका पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें मुख्य रूप से रिट याचिका के सुनवाई योग्य होने को को चुनौती दी गई थी। राज्य ने यही आपत्ति हाईकोर्ट के समक्ष रखी थी, जिसे दिनांक 12.07.2022 के एक आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने प्रारंभिक आपत्ति का विरोध किया था और तर्क दिया था कि टीईटी, 2014 के आधार पर नियुक्ति अभी भी चल रही है, इसलिए कोई देरी नहीं हुई है।

    उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया था कि नियुक्तियां एक बड़े घोटाले का हिस्सा हैं, इसलिए शुरू से ही नगण्य और शून्य हैं। हाईकोर्ट ने याचिका के सुनवाई योग्य होने के सवाल पर राज्य सरकार की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज करते हुए चार सप्ताह की अवधि के भीतर गुण-दोष पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था।

    हाईकोर्ट ने कहा था कि व्यक्तिगत उम्मीदवारों द्वारा नियुक्ति में गड़बड़ी को उजागर करने वाली रिट याचिकाएं पहले ही दायर की जा चुकी हैं, जबकि वर्तमान जनहित याचिका में पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाया गया है। इसने याचिकाकर्ता द्वारा दायर पूरक हलफनामे को भी ध्यान में रखा था, जिसमें संकेत दिया गया था कि वर्ष 2021 और 2022 में भी टीईटी, 2014 के परिणामों के आधार पर नियुक्तियां अभी भी की जा रही हैं। हाईकोर्ट का विचार था कि यदि लगाए गए आरोपों पर जनहित याचिकाओं को सही पाया जाता है और यदि यह स्थापित हो जाता है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को अपेक्षित योग्यता के बिना नियुक्त किया गया है तो उनकी नियुक्ति और सेवा में बने रहने के मुद्दे पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न होगा। "

    [केस टाइटल : पश्चिम बंगाल राज्य बनाम तापस घोष और अन्य। डायरी नंबर 25312/2022]

    Next Story