'जिन 367 स्थानीय निकायों पर चुनाव की अधिसूचना पहले जारी हो चुकी है, वहां बिना OBC आरक्षण चुनाव होंगे': सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को अवमानना की चेतावनी दी
Brij Nandan
28 July 2022 5:08 PM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव (Maharashtra Local Body Election) में ओबीसी आरक्षण के मसले पर महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग से कहा कि जिन 367 स्थानीय निकायों पर चुनाव की अधिसूचना पहले जारी हो चुकी है, वहां बिना OBC आरक्षण चुनाव होंगे। इन सीटों के लिए नए सिरे से अधिसूचना नहीं जारी की जाएगी।
जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस ए.एस. ओका और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने स्पष्ट किया कि राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) इन 367 स्थानीय निकायों के संबंध में आरक्षण प्रदान करने के लिए चुनाव कार्यक्रम को फिर से अधिसूचित नहीं कर सकता है।
कोर्ट ने संकेत दिया कि यदि इसका अनुपालन नहीं किया जाता है तो कोर्ट एसईसी और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगा।
कोर्ट ने कहा,
"एसईसी 8.6.2022 को इस न्यायालय के समक्ष हलफनामे में 367 स्थानीय निकायों के संबंध में आरक्षण प्रदान करने के लिए चुनाव कार्यक्रम को फिर से अधिसूचित नहीं कर सकता और न ही करेगा। इस निर्देश के किसी भी उल्लंघन के मामले में, एसईसी और सभी संबंधित व्यक्ति इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों की अवमानना करने की कार्रवाई सहित व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।"
पीठ ने यह भी देखा कि उसके आदेश दिनांक 20.07.2022 को प्रतिवादियों द्वारा गलत तरीके से पढ़ा जा रहा है। यह स्पष्ट किया गया कि समर्पित आयोग की रिपोर्ट के संदर्भ में एसईसी को 367 स्थानीय निकायों के संबंध में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव प्रक्रिया को पूरा करना है। हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र-आधारित अत्यावश्यकताओं को देखते हुए चुनाव आयोग अधिसूचित चुनावों की तारीखों को फिर से संरेखित कर सकता है।
कोर्ट ने कहा,
"हमें यह देखने में कोई संकोच नहीं है कि प्रतिवादी की समझ हमारे आदेश दिनांक 20.07.2022 को कम से कम कहने के लिए उसमें निहित निर्देश को गलत तरीके से पढ़ रही है। उस आदेश के संदर्भ में एसईसी चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बाध्य है जो पहले से ही उस आदेश की तिथि पर 367 स्थानीय निकायों को अधिसूचित किया जा चुका है। एसईसी को दी गई एकमात्र स्वतंत्रता संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ अनिवार्यताओं के अधीन पहले से अधिसूचित चुनाव कार्यक्रमों की तारीखों को फिर से संरेखित करना है।"
महाराष्ट्र राज्य ने दिनांक 20.07.2017 के आदेश में सुधार की मांग करते हुए बेंच से संपर्क किया था। उक्त आदेश में पीठ ने दो सप्ताह की अवधि के भीतर स्थानीय निकायों (जहां चुनाव प्रक्रिया को अधिसूचित किया जाना था) में पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार ओबीसी आरक्षण की अनुमति दी थी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन 367 स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है जहां चुनाव प्रक्रिया को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।
महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शेखर नफड़े ने पीठ को सूचित किया कि दिनांक 20.07.2022 के आदेश में दर्ज एसईसी का बयान सटीक नहीं हो सकता है।
"चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने बताया कि आज तक, 367 स्थानीय निकायों के संबंध में चुनाव कार्यक्रम पहले ही शुरू हो चुका है और इसे जारी रखा जाएगा और नियत समय में इसके तार्किक अंत तक ले जाया जाएगा।"
नफाडे ने प्रस्तुत किया कि उक्त बयान एसईसी द्वारा 8. 7.2022 को प्रस्तुत हलफनामे के आधार पर दर्ज किया गया था, लेकिन, 14.07.2022 को, राज्य में भारी वर्षा के कारण, 92 नगर परिषदों और 4 नगर पालिका के लिए चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
"8 जुलाई की स्थिति सही थी, लेकिन 14 तारीख को असाधारण बारिश की स्थिति के कारण, 92 नगर परिषद और 4 नगर पालिका ने चुनाव स्थगित कर दिया।"
जस्टिस खानविलकर ने कहा कि 367 स्थानीय निकाय के लिए चुनाव शुरू हो चुके हैं और चुनाव प्रक्रिया को टालने से चुनाव प्रक्रिया में बाधा नहीं आनी चाहिए। उन्होंने माना कि एसईसी केवल तारीखों को फिर से संरेखित कर सकता है; लेकिन चुनाव कार्यक्रमों को फिर से अधिसूचित नहीं करते।
आगे कहा,
"तारीख अभी टाल दी गई है, बाकी की तारीख होगी। चुनाव कार्यक्रम पहली अधिसूचना की तारीख से शुरू होता है। मानसून और बाढ़ की तारीखों को फिर से जोड़ा जा सकता है। उन स्थानीय निकायों के लिए हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे, हमने इसे स्पष्ट कर दिया है।"
नाफाडे ने जोर देकर कहा,
"उन्होंने पूरे कार्यक्रम को बदल दिया।"
जस्टिस खानविलकर ने कहा,
"वे कार्यक्रम नहीं बदल सकते हैं। वे केवल तारीखें बदल सकते हैं। हमने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई नई अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती है। यदि आप (एसईसी) ऐसा कर रहे हैं तो हमें कहना होगा कि आप इसे शरारत से कर रहे हैं। हम बहुत स्पष्ट थे कि यदि चुनाव कार्यक्रम शुरू हो गया है, तो हम हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, आप नामांकन, मतदान और मतगणना की तारीखों को बदलने के लिए स्वतंत्र हैं।"
एसईसी के वकील ने प्रस्तुत किया कि उसने केवल राज्य में मानसून की स्थिति के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था।
जस्टिस खानविलकर ने कहा कि यदि ऐसा है तो कोर्ट एसईसी के अनुरोध को खारिज कर देगा।
उन्होंने कहा कि चूंकि 367 स्थानीय निकायों के लिए चुनाव प्रक्रिया को न्यायालय के दिनांक 20.07.2022 के आदेश से बहुत पहले अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत समर्पित आयोग की रिपोर्ट के संदर्भ में ओबीसी आरक्षण की अनुमति दी गई थी, इन स्थानीय निकायों के संबंध में चुनाव कार्यक्रम बिना आरक्षण के चलते रहेंगे।
आगे कहा,
"आप (एसईसी) पूरे कार्यक्रम को नहीं बदल सकते। इन स्थानीय निकायों के लिए आरक्षण नहीं हो सकता। हमने बार-बार ऐसा कहा है।"
नाफड़े ने प्रस्तुत किया,
"एसईसी का कहना है कि एक नए कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। इसलिए इस आधार पर मैं यहां हूं।"
जस्टिस खानविलकर इस बात पर नाराज हुए कि कई मौकों पर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के बाद भी प्रतिवादियों द्वारा अपनी सुविधा के अनुरूप कोर्ट के आदेश का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।
कोर्ट ने कहा,
"यह एक बिल्कुल गलत स्टैंड है। एसईसी के पास उस स्थिति को लेने के की कोई जरूरत नहीं है। फिर हम एसईसी को अवमानना नोटिस जारी कर रहे हैं। यह मामला पिछले एक साल से चल रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। आप हमारे ऑर्डर अपनी सुविधानुसार गलत तरीके से पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।"
जस्टिस ओका ने कहा कि एसईसी अब इन 367 स्थानीय निकायों के लिए आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आरक्षण जोड़ना चाहता है, जो स्वीकार्य नहीं है।
आगे कहा,
"अब वे समिति के आरक्षण को जोड़ना चाहते हैं, ऐसा नहीं किया जा सकता।"
[केस टाइटल: राहुल रमेश वाघ बनाम महाराष्ट्र राज्य]