पीएम मोदी के खिलाफ 'गौतम दास' की टिप्पणी पर एफआईआर रद्द करने की पवन खेड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से जवाब मांगा

Sharafat

16 Oct 2023 7:17 AM GMT

  • पीएम मोदी के खिलाफ गौतम दास की टिप्पणी पर एफआईआर रद्द करने की पवन खेड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में एक कथित टिप्पणी को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ाके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की उनकी याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में की गई कथित 'नरेंद्र गौतम दास मोदी' टिप्पणी पर खेड़ा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

    पिछली सुनवाई पर कांग्रेस नेता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने खेड़ा के स्पष्टीकरण की ओर इशारा किया कि टिप्पणी अनजाने में की गई थी और उनकी त्वरित माफी एक्स पर एक अलग पोस्ट में जारी की गई थी, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था। सिंघवी ने अदालत को खेड़ा के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में बताते हुए कहा, "दूसरी और इससे भी महत्वपूर्ण बात, धाराओं का विस्तार देखें, जिसमें मानहानि, देश को नीचा दिखाने और अस्थिर करने का प्रयास करना, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देना शामिल है।"

    सिंघवी ने कहा, "यह इरादा बिल्कुल नहीं था।

    आज सुनवाई की शुरुआत में ही पीठ ने खेड़ा की याचिका पर नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की। जब सिंघवी ने कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर रोक लगाने का दबाव डाला तो जस्टिस गवई ने कहा, "अंतरिम राहत पर नोटिस जारी करें।"

    पृष्ठभूमि

    कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा इस साल फरवरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी 'नरेंद्र गौतम दास मोदी' टिप्पणी को लेकर विवाद में फंस गए। इसके चलते उनके खिलाफ कई एफआईआर रिपोर्ट दर्ज की गईं और असम पुलिस ने उन्हें एक ही महीने में गिरफ्तार कर लिया। खेड़ा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (सांप्रदायिक शत्रुता को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप), 500 (मानहानि), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और आईपीसी के अन्य प्रावधानों के तहत केस दर्ज है।

    23 फरवरी को असम पुलिस ने टिप्पणी पर दर्ज एक एफआईआर के संबंध में खेरा को दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था।

    उनकी गिरफ्तारी के दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने खेरा को अस्थायी राहत दी और सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। अंतरिम राहत को बाद में 28 फरवरी से 3 मार्च और फिर 17 मार्च तक बढ़ा दिया गया।

    20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ वाराणसी और असम में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया और उन्हें उत्तर प्रदेश के लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया। खेड़ा को मामले में क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की भी छूट दी गई। अगस्त में खेड़ा को लखनऊ की एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी।

    कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने खिलाफ दायर समन आदेश और आरोपपत्र को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कथित घटना के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी। हालाकि, उच्च न्यायालय ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उनकी याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस राजीव सिंह ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही संहिता की धारा 482 के तहत चल रही कार्यवाही के दौरान जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का अदालत द्वारा मूल्यांकन नहीं किया जा सका। अदालत ने खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के निर्देश के अनुसार, क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष सभी विवाद उठाने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटल : पवन खेड़ा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 13143/2023

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