सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में जिला जज के रूप में न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक लगाई

Brij Nandan

12 May 2023 6:01 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में जिला जज के रूप में न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की निचली अदालत के जजों के प्रमोशन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल जिन जजों को प्रमोट किया गया है, उन्हें उनके ओरिजनल पोस्ट यानी मूल पद पर वापस भेजा जाए।

    ये फैसला जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने सुनाया है।

    मालूम हो, जिला जजों के प्रमोशन के लिए गुजरात हाईकोर्ट ने सिफारिश की थी। इसे लागू करने के लिए गुजरात सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसी पर बेंच ने रोक लगाई है।

    जस्टिस एमआर शाह ने आदेश में कहा,

    "राज्य सरकार ने याचिका के लंबित होने के दौरान अधिसूचना जारी की और इसके बाद अदालत ने नोटिस जारी किया। हम हाईकोर्ट और राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हैं। जजों को उनके ओरिजनल पोस्ट पर वापस भेजते हैं।“

    जस्टिस शाह ने कहा,

    "प्रमोशन मैरिट कम सिनेरिटी के सिद्धांत पर और सूटेबिलिटी टेस्ट पास करने पर की जानी चाहिए। हाईकोर्ट की सिफारिश और बाद में राज्य सरकार की अधिसूचना अवैध है।"

    पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मौजूदा स्थगन आदेश उन प्रमोशन पर लागू होगा जिनके नाम मेरिट लिस्ट में पहले 68 उम्मीदवारों में नहीं हैं।

    आपको बता दें, बेंच ने केवल प्रमोशन पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश दिया है। बेंच ने कहा कि इस मामले की सुनवाई वो बेंच करेगी जिसे सीजेआई सौंपेंगे क्योंकि जस्टिस शाह 15 मई को रिटायर्ड हो रहे हैं।

    इस मामले पर लाइव लॉ ने याचिकाकर्ताओं के वकील पूर्विश जितेंद्र मलकान से बात की। उन्होंने बताया कि, 'हमारे हिसाब से जिन 28 न्यायिक अधिकारियों को प्रमोट किया गया है, वे पद पर बने रहेंगे। बाकी 40 को अपने ओरिजनल पोस्ट पर वापस जाना होगा। ये मेरिट लिस्ट के आधार पर है। मेरिट लिस्ट लिखित परीक्षा के आधार पर बनाई गई है। केवल वे लोग जो लिस्ट में टॉप 68 में शामिल हैं और जिन्हें सरकार ने वरिष्ठता-सह-योग्यता के आधार पर प्रमोट किया है, केवल उनका प्रमोशन प्रभावित नहीं होगा।

    याचिका में गुजरात में जिला जजों के प्रमोशन को चुनौती दी गई थी। दरअसल, 65 प्रतिशत कोटा नियम के आधार पर इन जजों का प्रमोशन हुआ था, जिसे सीनियर सिविल जज कैडर के दो अधिकारियों ने चुनौती दी थी।

    याचिकाकर्ताओं का कहना था कि प्रमोशन मैरिट कम सिनेरिटी के सिद्धांत पर और सूटेबिलिटी टेस्ट पास करने पर की जानी चाहिए। हाईकोर्ट की सिफारिश और बाद में राज्य सरकार की अधिसूचना अवैध है।

    याचिका में ये भी कहा गया कि कई ऐसे जज हैं, जिन्होंने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल किए हैं। फिर भी उनका सिलेक्शन नहीं किया गया। बल्कि उनसे कम अंक पाने वाले कैंडिडेट को प्रमोट किया गया।

    पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। दिलचस्प बात ये है कि बेंच के नोटिस जारी करने से पहले हाईकोर्ट ने जिला जजों के प्रमोशन की सिफारिश कर दी और नोटिस जारी होने के समय ये फाइल गुजरात सरकार के पास लंबित थी। इसके बाद एक हफ्ते के भीतर ही राज्य सरकार ने जजों के प्रमोशन की अधिसूचना जारी कर दी।

    केस टाइटल

    रविकुमार धनसुखलाल महेता और अन्य बनाम गुजरात हाईकोर्ट और अन्य | रिट याचिका (सिविल) संख्या 432 ऑफ 2023



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