सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स रिलेशनशिप में महिला को काउंसलिंग से गुजरने के हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाई

Brij Nandan

7 Feb 2023 4:12 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स रिलेशनशिप में महिला को काउंसलिंग से गुजरने के हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एक 23 वर्षीय महिला को काउंसलिंग का निर्देश दिया गया था। वो महिला सेम सेक्स रिलेशनशिप में थी।

    हाईकोर्ट ने उसके समलैंगिक पार्टनर द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में यह आरोप लगाते हुए आदेश पारित किया कि उसे उसके माता-पिता द्वारा अवैध रूप से कस्टडी में रखा गया है।

    हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पार्टनर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष एडवोकेट श्रीराम परक्कट द्वारा मामले का तत्काल उल्लेख किया गया था।

    याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने महिला को जेंडर संवेदीकरण परामर्श से गुजरने का निर्देश दिया था।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय का निर्देश व्यक्तिगत स्वायत्तता पर आक्रमण और गरिमा का अपमान है। यह भी बताया गया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में LGBTQ+ लोगों को काउंसलिंग से गुजरने के लिए मजबूर करने के खिलाफ निर्देश पारित किया था।

    याचिकाकर्ता की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला के माता-पिता को नोटिस जारी किया। इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने कोल्लम में फैमिली कोर्ट के समक्ष कथित कस्टडी में लिए गए व्यक्ति को पेश करने का निर्देश दिया।

    फैमिली कोर्ट के पीठासीन अधिकारी सलीना वी.जी. नायर, सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के सदस्य और केरल के एक न्यायिक अधिकारी को कथित कस्टडी में लिए गए व्यक्ति के साक्षात्कार की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।

    कोर्ट ने आदेश में आगे कहा,

    "अधिकारी बंदी के साथ बातचीत करने के बाद उसकी इच्छाओं का पता लगाने के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि क्या वह स्वेच्छा से अपने माता-पिता के साथ रह रही है या उसे अवैध कस्टडी में रखा गया है। फैमिली के प्रधान न्यायाधीश और सलीना यह सुनिश्चित करेंगी कि पीड़िता का बयान डिटेनू को माता-पिता के किसी भी दबाव के बिना निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से दर्ज किया जाता है। रिपोर्ट को सूचीबद्ध करने की अगली तारीख से पहले एक सीलबंद कवर में इस अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।"

    एडवोकेट श्रीराम परक्कट, एमएस विष्णु शंकर और ल्यूक जे चिरायिल ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया।


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