सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना के अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसिडिंग पर रोक लगाई
Brij Nandan
21 July 2022 2:38 AM GMT
![सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना के अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसिडिंग पर रोक लगाई सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड में नागरिकों की हत्या के मामले में सेना के अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसिडिंग पर रोक लगाई](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2022/07/21/750x450_426800-405528-nagalad-killings.jpg)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नागालैंड (Nagaland) में नागरिकों की हत्या के आरोपी भारतीय सेना के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही (Criminal Proceeding) पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 6 के तहत आवश्यक पूर्व मंजूरी प्राप्त नहीं की गई है।
4 दिसंबर, 2021 को सेना ने पूर्वी नागालैंड के ओटिंग गांव में आठ खनिकों को ले जा रहे एक पिकअप ट्रक पर कथित रूप से गोली चलाई थी। बाद में, इस घटना के संबंध में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120-बी के साथ धारा 302, 307, 326, 201, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
इस घटना के बाद, नागालैंड विधानसभा ने आयोजित एक विशेष सत्र में, भारत सरकार से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 को उत्तर पूर्व से विशेष रूप से नागालैंड से निरस्त करने की मांग करने के लिए "सर्वसम्मति से संकल्प" लिया।
नागालैंड पुलिस द्वारा पिछले महीने दायर चार्जशीट में एक मेजर सहित भारतीय सेना के तीस जवानों का नाम लिया गया था।
इनमें से कुछ अधिकारियों की पत्नियों ने अधिकारियों के खिलाफ सूट मोटो एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए रिट याचिका दायर करके शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने इन याचिकाओं पर विचार करते हुए कहा कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 नागालैंड में उस जगह पर लागू होता है जहां घटना हुई थी। सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 6 में कहा गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा या अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा पीठ को सूचित किया गया कि केंद्र सरकार द्वारा कोई पूर्व मंजूरी नहीं दी गई है और मंजूरी का सवाल उचित स्तर पर विचार की प्रतीक्षा कर रहा है।
पीठ ने आदेश में कहा,
"स्वीकार की गई स्थिति के मद्देनजर कि सशस्त्र बल (विशेष 4 शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 6 के तहत आवश्यक पिछली मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है। हम एफआईआर संख्या 27ऑफ 2021 / विशेष जांच दल / आरोपपत्र की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने के लिए बाध्य हैं।"
अदालत ने यह भी कहा कि उसने भारतीय सेना के अधिकारियों के करीबी परिवार के सदस्यों द्वारा दायर इसी तरह की रिट याचिकाओं पर विचार किया है।
केस टाइटल : रबीना घाले एंड अन्य बनाम भारत संघ अन्य | डब्ल्यूपी (सीआरएल) 265/2022