आजीवन कारावास के दोषियों की समय से पहले रिहाई के निर्देशों के अनुपालन पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी डीजी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा
Brij Nandan
6 Jan 2023 9:50 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य के महानिदेशक (कारागार) को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
हलफनामे में रशीदुल जाफर बनाम यूपी राज्य के फैसले के अनुसरण में उठाए गए कदमों के बारे में बताना है। इस मामले में एक कैदियों की छूट के संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।
यह मुद्दा उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 50 दोषियों की छूट से संबंधित मामले में उठा। रशदिल जाफर में अदालत के फैसले के अनुसार, जैसे ही एक दोषी इसके लिए पात्र होता है, आवेदन के बिना छूट पर विचार किया जाना चाहिए।
मामले में दिशा-निर्देश पारित करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश राज्य के महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
हलफनामे में बताना है-
1. रशीदुल जाफर बनाम यूपी राज्य के फैसले के अनुसरण में उठाए गए कदम और व्यवस्था;
2. यूपी राज्य में जिलेवार कितने अपराधी समय से पहले रिहाई के पात्र हैं?
3. राशिदुल जफर बनाम यूपी राज्य के फैसले के बाद से समय से पहले रिहाई के कितने मामलों पर विचार किया गया है?
4. रशीदुल जफर बनाम यूपी राज्य के फैसले के बाद से समय से पहले रिहाई के लिए कितने मामले विचाराधीन हैं?
5. वह समयावधि जब तक ऐसे मामलों पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी नोटिस जारी किया है।
शीदुल जाफर बनाम यूपी राज्य में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश राज्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जेल अधिकारियों के साथ समन्वय में आवश्यक कदम उठाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कैदियों के लिए लागू नीतियों के संदर्भ में समय से पहले रिहाई के हकदार पर विधिवत विचार किया जाएगा और कोई भी कैदी, जो अन्यथा विचार किए जाने के योग्य है, को विचार से बाहर नहीं किया जाएगा।
यह भी निर्देश दिया गया था कि समय से पहले रिहाई के आवेदनों पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा।
इसमें कहा गया है कि जिन मामलों पर पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है और जिनके संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है, उनका निष्कर्ष निकाला जाएगा और दोषी को अंतिम निर्णय इस आदेश की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर सूचित किया जाएगा। पात्र आजीवन दोषियों के मामले जो (i) सत्तर वर्ष से अधिक आयु के हैं; या (ii) लाइलाज बीमारियों से पीड़ित को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा और दो महीने की अवधि के भीतर उसका निपटान किया जाएगा।