सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जानकारी मांगने वाली IFS संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर PMO को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

1 Feb 2020 11:54 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जानकारी मांगने वाली IFS संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर PMO को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून 2014 से 5 अगस्त, 2017 तक केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में व्हिसलब्लोअर IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा दाखिल एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) को नोटिस जारी किया। याचिका में सरकार द्वारा विदेश से काला धन वापस लाने और भारतीय नागरिकों के खातों में जमा करने के दावे की जानकारी भी मांगी गई है।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की अगुवाई वाली एक बेंच ने शुक्रवार को 9 सितंबर, 2019 के दिल्ली

    उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर ये नोटिस जारी किया जिसका प्रतिनिधित्व वकील प्रशांत भूषण और रोहित सिंह ने किया।

    दरअसल अगस्त 2017 में इन घटनाओं की श्रृंखला शुरू हुई।चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार की शिकायतों और केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ जून 2014 से 5 अगस्त, 2017 तक की कार्रवाई के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदन किया। नौकरशाह ने जून 2014 से जमा काला धन की भी जानकारी मांगी।उनके प्रयासों को तब गति मिली जब केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने PMO को उन्हें 15 दिनों में सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

    चतुर्वेदी ने कहा है कि PMO ने CIC के "बाध्यकारी निर्णय" के बावजूद विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, PMO ने मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में जानकारी ना देने के लिए

    आरटीआई अधिनियम की धारा 7 (9) को लागू किया। यह प्रावधान एक सार्वजनिक प्राधिकरण को जानकारी का खुलासा करने से छूट देता है यदि यह संसाधनों को उलट देता है या "रिकॉर्ड की सुरक्षा और संरक्षण के लिए हानिकारक है।"

    काले धन के विवरण के लिए PMO ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (एच) के तहत शरण ली, जिसमें ऐसे खुलासे शामिल हैं जो "अपराधियों की जांच या आशंका या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं।"

    उच्च न्यायालय ने चतुर्वेदी की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसके बाद इस फैसले को वह शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई।

    सुप्रीम कोर्ट में दलील दी, "प्रतिवादी (PMO) विदेशों से लाए गए काले धन की मात्रा पर पूरी तरह से चुप है। "

    उन्होंने कहा कि सरकार का आचरण "सरकार में किए जा रहे लेनदेन / व्यवसायों के बारे में जानने के लिए एक नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों के मूल पर प्रहार है।"

    उन्होंने कहा है कि सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायतों और काले धन के विवरण का खुलासा नहीं किया जो चुनावी वादों का उल्लंघन है और "लोकतंत्र के कामकाज के बारे में बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ" है।

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