सुप्रीम कोर्ट ने सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी के लिए पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार किया
LiveLaw News Network
7 Dec 2020 12:03 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी के लिए पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने हालांकि देवगन के खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को अजमेर स्थानांतरित कर दिया।
8 जुलाई का जांच और पत्रकार के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक का आदेश जारी रहेगा।
15 जून को प्रसारित होने वाले अपने प्राइम टाइम शो में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी के आधार पर देवगन के खिलाफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
अपने शो 'आर पार' में पूजा स्थल के विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में जनहित याचिका पर बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ जाना जाता है, एक "हमलावर" और "लुटेरे " के रूप में कहा। नतीजतन, देश भर में उनके खिलाफ कई पुलिस शिकायतें और एफआईआर दर्ज की गईं।
देवगन की याचिका अधिवक्ता विवेक जैन के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें उन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना है), 153 A ( धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि और सद्भाव बिगाड़ने के लिए पूर्वाग्रही कार्य करने ), 505 ( जनता में शरारत करने के लिए बयानबाजी) व 34 ( सामान्य उद्देश्य ) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
देवगन ने सूफी संत को "लुटेरे" के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी मांगी थी और इसे "अनजाने में त्रुटि" कहा था। माफी का उनका ट्वीट था:
"मेरी 1 बहस में, मैंने अनजाने में 'खिलजी' को चिश्ती के रूप में संदर्भित किया। मैं ईमानदारी से इस गंभीर त्रुटि के लिए माफी मांगता हूं और यह सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों की नाराज़गी का कारण हो सकता है, जिनकी मैं श्रद्धा करता हूं। मैंने अतीत में उनकी दरगाह पर आशीर्वाद मांगा था। मुझे इस त्रुटि पर अफसोस है।"