सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'मोदी-अडानी लव अफेयर' टिप्पणी पर यूपी कांग्रेस नेता के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार किया

Shahadat

15 Sept 2023 12:36 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने कथित मोदी-अडानी लव अफेयर टिप्पणी पर यूपी कांग्रेस नेता के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने यूपी यूथ कांग्रेस के सचिव सचिन चौधरी की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उनकी कथित टिप्पणी पर एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। इस कथित टिप्पणी में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्योगपति और अडानी ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष के साथ "लव अफेयर" के बारे में कहा था।

    जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलील पर गौर करते हुए कहा कि यदि एफआईआर में लगाए गए आरोपों को सच माना जाए तो यह आईपीसी की धारा 153ए के तहत अपराध नहीं होगा।

    खंडपीठ ने कहा,

    “याचिकाकर्ता के इस तर्क को हाईकोर्ट के आदेश में संक्षेपित किया गया है, जिसमें याचिकाकर्ता की रद्द करने की याचिका खारिज कर दी गई। कानून प्रवर्तन एजेंसी अभी भी कथित अपराधों की जांच कर रही है और उन्हें जांच पूरी होने के बाद भविष्य की कार्रवाई के बारे में निर्णय लेना चाहिए। इस स्तर पर हमें नहीं लगता कि यह हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला है।”

    विशेष अनुमति याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर आलोचना करते हुए दायर की गई, जिसने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि एफआईआर में कथित अपराध निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 153-ए और धारा 505 (2) के दायरे में आएगा, जो संज्ञेय अपराध हैं। इसलिए एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।

    मामले की पृष्ठभूमि

    वर्तमान मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा विंग के नेता अक्षित अग्रवाल के कहने पर एफआईआर दर्ज की गई है। अपनी एफआईआर में उन्होंने आरोप लगाया कि चौधरी ने संभल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह कहकर प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया कि उनका (गौतम) अडानी के साथ समलैंगिक संबंधप्रेम संबंध है।

    भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए, 505(2), 504 के तहत दर्ज एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता (अग्रवाल) ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री उनके लिए भगवान की तरह हैं। चौधरी के उक्त अपमानजनक बयान से भाजपा से जुड़े लोगों के साथ-साथ उनके वर्ग के लोगों और हिंदू संगठनों और कई अन्य धार्मिक संगठनों के सदस्यों की भावनाएं आहत हुई हैं।

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