सुप्रीम कोर्ट ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के पास 500 साल पुराने सिख मठ के विध्वंस से जुड़ी अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से इनकार किया
Brij Nandan
21 Feb 2023 8:10 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर के पास सदियों पुराने मंगू मठ के विध्वंस से संबंधित एक मामले में अवमानना कार्यवाही शुरू करने से इनकार कर दिया। इस मठ को लेकर माना जाता है कि 500 साल पहले गुरु नानक यहां आए थे।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने ये देखते हुए अवमानना शुरू नहीं किया कि अदालत के आदेश की कोई "अवज्ञा" नहीं हुई है।
बेंच ने कहा,
"याचिकाकर्ताओं के वकील को सुनने और आवेदन में दिए गए कथनों पर विचार करने के बाद, हमें कोई अवमानना कार्यवाही शुरू करने का कोई कारण नहीं दिखता है। वर्तमान अवमानना कार्यवाही खारिज की जाती है।"
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर पेश हुए। सुनवाई के दौरान, उन्होंने तर्क दिया कि मठ का विध्वंस सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले का उल्लंघन है।
वकील ने कहा,
"विध्वंस जारी रह सकता है लेकिन मठ का संरक्षण होना चाहिए।"
खंडपीठ ने कहा,
"यहां पर्याप्त अतिक्रमण किया गया है।"
ग्रोवर ने तर्क दिया,
"मठ को नहीं तोड़ना चाहिए था।"
याचिकाकर्ताओं का कहना कि साल 2019 में, अदालत ने एक आदेश पारित किया जिसमें कहा गया था कि जगन्नाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र को साफ करते समय, अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि देवता, मठ की समाधि, उसके अवशेष आदि को न तोड़ा जाए।
बेंच ने कहा,
"इसमें अवमानना क्या है? हमें बताएं।”
ग्रोवर ने अपनी बात दोहराई।
खंडपीठ ने कहा,
"कोई अवज्ञा नहीं है। कोई अवमानना नहीं हुई है।”
ग्रोवर ने कहा कि पांच शताब्दी पहले स्वयं गुरु नानक ने मठ का दौरा किया था।
वकील ने आगे कहा,
“500 साल से चली आ रही जगह को तोड़ा जा रहा है। यह वह जगह है जहां 500 साल पहले गुरु नानक स्वयं आए थे।“
पीठ ने पुष्टि की,
"इसमें हम कोई अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं करना चाहते हैं।"
ग्रोवर ने पूछा,
"यही एकमात्र तरीका है। मैं इसे कैसे पुनर्स्थापित कर सकता हूं?"
पीठ ने कहा,
'हम आपको याचिका वापस लेने के लिए नहीं कह रहे हैं। हम इसे खारिज कर रहे हैं।”
वकील ने कहा,
"मेरे पास और कोई चारा नहीं है।“
हालांकि, बेंच ने याचिका खारिज कर दी।