'भोजन के लिए जानवरों की हत्या कानून के तहत स्वीकार्य': सुप्रीम कोर्ट ने प्रयोगशाला में बनने वाले मांस पर स्विच करने की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Sharafat

13 March 2023 4:59 PM GMT

  • Supreme Court

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जानवरों की हत्या पर रोक लगाने और मानव उपभोग के लिए प्रयोगशाला से तैयार मांस पर स्विच करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कुछ देर दलीलें सुनने के बाद याचिका वापस लेने की छूट दी।

    जस्टिस जोसेफ ने सुनवाई के दौरान कहा कि क़ानून (पशु क्रूरता निवारण अधिनियम) स्वयं भोजन के लिए जानवरों की हत्या की अनुमति देता है तो कानून के विपरीत कोई पॉलिसी कैसे हो सकती है।

    जस्टिस जोसेफ ने कहा,

    "आपका सैद्धांतिक आधार यह है कि जानवरों के प्रति कोई क्रूरता नहीं होनी चाहिए। कानून में यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत आता है। धारा 11 (जानवरों के साथ क्रूरता का व्यवहार) खाने (जानवरों के) की अनुमति देता है। आप अदालत से क्या पूछ रहे हैं? क्या सरकार ऐसी नीति बना सकती है जो मौजूदा कानून के विपरीत हो?"

    यह उन आधारों में से एक है जिसमें किसी नीति को मनमाने, असंवैधानिक या मौलिक अधिकारों के विपरीत होने के अलावा चुनौती दी जा सकती है।"

    अदालत ने आगे कहा कि कार्यकारी कार्रवाई किसी क़ानून के खिलाफ नहीं हो सकती।

    जस्टिस नागरत्न ने कहा कि देश में बड़ी आबादी को देखते हुए मांस के सेवन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।

    "अधिनियम के तहत कुछ मापदंडों के अनुसार जानवरों के खाने की अनुमति है .... देश की जनसंख्या को देखते हुए आप वास्तव में देश में मांस खाने पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं?"

    याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि याचिका प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं है बल्कि जानवरों को मारने के बजाय वैकल्पिक स्रोत रखने के लिए है।

    कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने के किसके मौलिक अधिकार प्रभावित हुए हैं।

    कोर्ट ने कहा, "हमारा सुझाव है कि आप इसे वापस लें और बाद में आगे बढ़ें।"

    याचिकाकर्ता एडवोकेट सचिन गुप्ता ने हाल ही में लॉ ग्रेजुएशन पूरा किया, उन्हें पिछली सुनवाई के दौरान उनके शोध कौशल के लिए अदालत द्वारा सराहा गया था।

    केस टाइटल : सचिन गुप्ता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया | डब्ल्यूपी (सी) 1145/2022

    Next Story