सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से राजनीतिक दलों के चिन्ह हटाने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Brij Nandan

1 Nov 2022 7:28 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें ईवीएम से पार्टी चिन्ह हटाने की मांग की गई थी।

    उपाध्याय की ओर से पेश सीनियर वकील विकास सिंह और गोपाल शंकरनारायण ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के उल्लंघन का आरोप लगाया।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि ईवीएम पर पार्टी चिन्ह मतदाताओं की पसंद को प्रभावित करता है और उन्हें चुनावी उम्मीदवारों की विश्वसनीयता के आधार पर चुनाव करने का मौका नहीं मिलता है।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि इसके परिणामस्वरूप राजनीतिक नेताओं में आपराधिकता बढ़ी है।

    शंकरनारायण ने प्रस्तुत किया,

    "पार्टियां बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का चयन क्यों नहीं कर रही हैं?"

    एडवोकेट जनरल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मतदाता जो चुनाव करता है वह ईवीएम तक पहुंचने से पहले होता है।

    आगे कहा,

    "ईवीएम वह जगह नहीं है जहां वह चुनाव करता है। जब तक वह वहां पहुंचता है, तब तक वह पहले ही एक विकल्प बना चुका होता है।"

    कोर्ट रूम एक्सचेंज

    शुरुआत में, CJI ललित ने बताया कि संविधान की 10वीं अनुसूची राजनीतिक दलों और विधायक दल को मान्यता देती है।

    CJI ने कहा,

    "चुनाव राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है। मतदाताओं ने उन्हें चुना है, लेकिन वह अपने राजनीतिक दल को नहीं छोड़ सकते।"

    सिंह ने प्रस्तुत किया कि यदि किसी उम्मीदवार को मतदाता द्वारा व्यक्तिगत रूप से (पार्टी से संबद्धता के बिना) देखा जाना है, तो सिस्टम में बेहतर लोग होंगे।

    आगे कहा,

    "पार्टी बेहतर लोगों को टिकट देने के लिए मजबूर होगी। यह ब्राजील में किया जाता है, जिसका कोई चिन्ह नहीं है। अगर पार्टी के चिन्ह को हटा दिया जाता है, तो मतदाता भी उस व्यक्ति के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।"

    उन्होंने प्रार्थना की कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करने और भ्रष्टाचार, अपराधीकरण आदि को समाप्त करने के लिए ECI को EVM पर उम्मीदवारों के 'नाम, आयु, शैक्षिक योग्यता और फोटो' का उपयोग करना चाहिए।

    याचिका में दावा किया गया है कि इससे मतदाताओं को वोट देने और बुद्धिमान मेहनती और ईमानदार उम्मीदवारों का समर्थन करने और सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों के न्यायविदों, बुद्धिजीवियों और जन कल्याणकारी ईमानदार लोगों के लिए राजनीति में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।

    वकीलों ने अदालत को आगे बताया कि इस संबंध में चुनाव आयोग को एक अभ्यावेदन दिया गया था। यह मामला विधि आयोग के समक्ष नहीं उठाया जा सका क्योंकि यह पिछले 4 वर्षों से कार्य नहीं कर रहा है।

    चुनाव आयोग के वकील अमित शर्मा ने अदालत को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार किया जाएगा। तद्नुसार मामले का निस्तारण किया गया।

    केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ एंड अन्य।



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