'फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे': सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, 5 सितंबर को सुनवाई होगी
Brij Nandan
29 Aug 2022 11:41 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कर्नाटक में धार्मिक संस्थानों में हेडस्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध (Hijab Ban) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में नोटिस जारी करते हुए कहा,
"फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे।"
सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा स्थगन का एक पत्र प्रसारित किया गया है।
इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा,
"यह हमें मंजूर नहीं है। पहले आप तत्काल लिस्टिंग चाहते थे और जब मामला सूचीबद्ध होता है, तो आप स्थगन चाहते हैं। हम फोरम शॉपिंग की अनुमति नहीं देंगे।"
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वकील पूरे भारत से और कुछ कर्नाटक से भी आ रहे हैं।
जस्टिस ने तुरंत जवाब दिया,
"कर्नाटक केवल 2.5 घंटे दूर है।"
मामले का कम से कम 6 बार जिक्र किया गया, एसजी मेहता ने बेंच को अवगत कराया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा,
"ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परीक्षाएं तब शुरू हो रही थीं।"
एसजी मेहता ने पूछा,
"तो, आपने बिना तैयारी किए क्यों उल्लेख किया?"
याचिकाकर्ताओं द्वारा मामले में दो सप्ताह का समय मांगने के बावजूद, कोर्ट ने कर्नाटक राज्य को नोटिस जारी किया और मामले को सुनवाई के लिए 5 सितंबर, 2022 के लिए पोस्ट किया।
हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पिछले सीजेआई एनवी रमना के कार्यकाल के दौरान सूचीबद्ध नहीं किया गया था, हालांकि विभिन्न वकीलों द्वारा याचिकाओं की तत्काल पोस्टिंग की मांग की गई थी।
2 अगस्त को सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना के समक्ष मामले का उल्लेख किया था, जिन्होंने तब जल्द ही एक पीठ गठित करने का आश्वासन दिया था।
13 जुलाई को एडवोकेट प्रशांत भूषण ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख करते हुए कहा था कि मार्च से याचिकाओं को सूचीबद्ध नहीं किया गया है और स्टूडेंट को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सीजेआई तब मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हुए थे।
ये याचिकाएं कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा पारित 15 मार्च के फैसले के खिलाफ दायर की गई हैं, जिसमें सरकारी आदेश दिनांक 05.02.2022 को बरकरार रखा गया है, जिसने याचिकाकर्ताओं और ऐसी अन्य महिला मुस्लिम छात्रों को अपने प्री यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हेडस्कार्फ़ पहनने से प्रतिबंधित कर दिया।
चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पूर्ण पीठ ने कहा था कि महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। पीठ ने आगे कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड का प्रावधान याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।
केस: फातिमा बुशरा बनाम कर्नाटक राज्य WP(c) 95/2022 और अन्य संबंधित मामले