सुप्रीम कोर्ट ने ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन को राहुल गांधी के फर्जी वीडियो पर कई एफआईआर में कठोर कार्रवाई से सुरक्षा दी
Sharafat
8 July 2022 12:53 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन को राहुल गांधी के भाषण के कथित छेड़छाड़ वाले वीडियो को लेकर उनके खिलाफ दर्ज कई एफाईआर के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें प्रतिवादी अधिकारियों को 1 जुलाई, 2022 को डीएनए शो के प्रसारण के संबंध में रंजन को हिरासत में लेने के कठोर कदम उठाने से रोक दिया गया।
पीठ रंजन की याचिका पर विचार कर रही थी , जिसमें कहा गया था कि कथित वीडियो एएनआई नामक एक तीसरे पक्ष की एजेंसी से प्राप्त हुआ था और यह महसूस करने पर कि शो की सामग्री में कुछ तथ्यात्मक गलतियां और अनजाने में त्रुटि थी, ज़ी न्यूज़ ने तुरंत समाचार हटा दिया और इसके प्रसारण के लिए माफी मांगी। इसे तुरंत ही सभी सोशल मीडिया पोस्ट से भी हटा दिया गया।
रंजन की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने प्रस्तुत किया कि चूंकि एक ही अपराध के लिए कई एफआईआर दर्ज की गई हैं, टीटी एंटनी मामला लागू होगा, जिसमें कहा गया था कि एक ही संज्ञेय अपराध या एक या एक से अधिक संज्ञेय अपराधों को जन्म देने वाली एक ही घटना या घटना के संबंध में कोई दूसरी एफआईआर नहीं हो सकती है और परिणामस्वरूप बाद में दर्ज की गई प्रत्येक एफआईआर पर कोई नई जांच नहीं हो सकती।
ज़ी न्यूज़ के एंकर ने याचिका में आगे तर्क दिया कि उन्होंने उक्त शो में त्रुटियों के लिए माफ़ी मांगी और अपने प्राइम टाइम शो, डीएनए के साथ-साथ अपने ट्विटर हैंडल पर भी अत्यंत खेद व्यक्त किया, लेकिन बाद में उनके खिलाफ विभिन्न एफआईआर/शिकायतें दर्ज की गईं।
याचिका में यह तर्क दिया गया कि कार्रवाई के एक ही कारण से उत्पन्न होने वाली कई एफआईआर कानून के तहत स्वीकार्य नहीं हैं और यह मुद्दाप्रसारक के खिलाफ केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और प्रोग्रामिंग नियमों की धारा 16 और 17 के प्रावधानों के तहत कवर किया गया।
याचिका में कहा गया कि जब प्रश्नगत मुद्दों से निपटने के लिए विशेष कानून है तो आपराधिक क़ानून लागू करने या एफआईआर दर्ज करने का कोई सवाल ही नहीं था। तदनुसार यह प्रस्तुत किया गया कि विभिन्न राज्यों में कई एफआईआर और कई और शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। याचिकाकर्ता और समाचार चैनल को अनुचित उत्पीड़न करने के लिए एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य के साथ ये एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।
कई एफआईआर पहले से ही दर्ज हैं और विभिन्न राज्यों में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिन्हें एफआईआर में भी परिवर्तित किया जा सकता है, याचिकाकर्ता को पुलिस द्वारा पीछा किया जा रहा है।
केस टाइटल : रोहित रंजन बनाम भारत संघ और अन्य
| डब्ल्यूपी (सीआरएल) 2022 का 257