सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण मानदंडों के कथित उल्लंघन करने पर 2008 से आईआईटी फैक्ल्टी नियुक्तियों को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
Sharafat
13 July 2023 7:36 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर आरक्षण मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए 2008 से वर्तमान तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में फैक्ल्टी नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की गई थी। जनहित याचिका में भारत भर के आईआईटी में फैकल्टी पदों पर उत्तरी और हिंदी भाषी राज्यों के उम्मीदवारों को समान अवसर दिए जाने की भी मांग की गई।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने याचिका को गलत दिशा में निर्देशित बताते देते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 2008 में की गई नियुक्तियों को रद्द करने की प्रार्थना पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिका में लगाए गए आरोप बिना किसी सहायक सामग्री के हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि प्रोफेसरों के उत्पीड़न के कारण आईआईटी में कई छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए व्यापक आरोपों को 'बेतुका' और बिना किसी आधार के बताया।
“जून 2008 के बाद से नियुक्तियों को रद्द करने की याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर इस विलंबित चरण में विचार नहीं किया जा सकता और भी अधिक, जब नियुक्तियों में से कोई भी पार्टी प्रतिवादी नहीं है।
आईआईटी में फैक्ल्टी सदस्यों के रूप में नियुक्ति के मामले में उत्तर और हिंदी भाषी राज्यों के उम्मीदवारों के साथ कथित भेदभावपूर्ण व्यवहार का उनका आरोप पूरी तरह से अस्पष्ट, टालमटोल करने वाला और बिना किसी सहायक सामग्री के है। याचिकाकर्ता ने व्यापक आरोप लगाया है कि आईआईटी में प्रोफेसरों द्वारा उत्पीड़न के कारण कई आईआईटी छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसी बेतुकी दलील कुछ समाचार रिपोर्टों के आधार पर ली गई है।”
न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने स्वयं स्वीकार किया था कि आईआईटी में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन से संबंधित मामला पहले से ही शीर्ष न्यायालय और मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है और इसलिए उसी मुद्दे से संबंधित किसी अलग रिट पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।