अनुच्छेद 370 पर त्रुटिपूर्ण याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़, सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई
LiveLaw News Network
16 Aug 2019 3:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हटाने के लिए अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली त्रुटिपूर्ण याचिकाओं पर अपनी नाराजगी जताई है। वहीं पीठ ने वकील मनोहर लाल शर्मा को संशोधित याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी है। सुनवाई के दौरान CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की स्पेशल बेंच ने इस संबंध में दाखिल सारी याचिकाओं को टैग कर दिया।
अदालत ने वकील एम. एल. शर्मा से पूछी उनकी प्रार्थना
शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही CJI ने वकील एम. एल. शर्मा को कहा कि उनकी याचिका में क्या मांग की गई है, उनकी क्या प्रार्थना है? उन्होंने आधे घंटे तक याचिका को पढ़ा लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आया। पीठ ने कहा कि वो तकनीकी आधार पर ही याचिका को खारिज कर सकते हैं लेकिन फिर इस मुद्दे पर दाखिल अन्य याचिकाओं का क्या होगा।
CJI ने जताई त्रुटिपूर्ण याचिकाओं पर नाराजगी
इस पर शर्मा ने कहा कि वो 2 दिनों में संशोधित याचिका दाखिल करेंगे। पीठ ने इसके लिए अनुमति दे दी। उसी समय शाकिर शब्बीर नामक वकील ने यह कहा कि वो कश्मीर से हैं और उन्होंने भी एक याचिका दाखिल की है। पीठ ने रजिस्ट्रार से उनकी याचिका की जानकारी मंगाई। CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा, "आपने त्रुटिपूर्ण याचिका दाखिल की है, बुधवार को ही त्रुटि दूर कीं। इसी तरह इस मामले में 6 याचिकाएं दाखिल की हैं जिनमें से 4 में अभी भी त्रुटियां हैं। कोई कैसे इस प्रकृति के मामले में त्रुटिपूर्ण याचिका दाखिल कर सकता है।"
हालांकि फिर पीठ ने कहा कि वो इस संबंध में दाखिल सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा। हालांकि इसके लिए फिलहाल कोई तारीख तय नहीं की गई है।
वकील एम. एल. शर्मा की याचिका में दलील
दरअसल वकील मनोहर लाल शर्मा ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। याचिका में उन्होंने यह कहा है कि राष्ट्रपति का आदेश, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति को हटाया गया है, पूरी तरह असंवैधानिक है और सरकार को इसके बजाय संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के तहत शक्तियों का उपयोग करके इस अनुच्छेद को समाप्त नहीं किया जा सकता है और इसलिए आदेश संविधान के विपरीत है।
संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन), 1954 को लागू करने के लिए उपर्युक्त राष्ट्रपति आदेश 5 अगस्त, 2019 को पारित किया गया था। इसमें यह कहा गया है कि भारत के संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे और "अनुच्छेद 370 में संविधान सभा को राज्य राज्य की विधान सभा द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।" यह कदम जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में लाने के प्रकाश में देखा जा सकता है।