तमिलनाडु सरकार पर 38,000 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

Brij Nandan

16 Dec 2022 2:06 AM GMT

  • Supreme Court

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक याचिका में तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति करके में लगभग 38,000 मंदिरों का प्रबंधन अप्रत्यक्ष रूप से अपने हाथ में ले लिया, लेकिन उन्हें मंदिर के ट्रस्टियों को नियुक्त करने से रोक दिया। याचिका के अनुसार, इससे मंदिर के विशाल फंड का कुप्रबंधन हुआ है।

    इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की।

    याचिकाकर्ता, "इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट" नाम के एक संगठन ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

    याचिका के अनुसार, कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति नियमावली, 2015 की शर्तें कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति को अधिकतम पांच वर्ष तक सीमित करती हैं, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कार्यकारी अधिकारियों (ईओ) को उनके नियुक्ति आदेशों में बिना किसी शर्त के अनिश्चित काल के लिए नियुक्त किया गया था।

    याचिका में कहा गया है,

    "मंदिरों के प्रबंधन का इस तरह हड़पना उचित नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य के मामले में इस कोर्ट ने स्पष्ट रूप से दोहराया था कि इस बुराई का समाधान होते ही मंदिर का प्रबंधन संबंधित व्यक्ति को सौंप दिया जाना चाहिए और ऐसा करने में विफलता संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।"

    याचिकाकर्ता ने कार्यकारी अधिकारियों द्वारा मंदिरों के कुप्रबंधन के कई उदाहरणों का विवरण देते हुए कहा है कि करोड़ों रुपये की परियोजनाओं/गतिविधियों के संबंध में निर्णय ऐसे कार्यकारी अधिकारियों को सौंपे गए हैं, जिससे देवता और मंदिर के भक्तों के हित में अत्यधिक पूर्वाग्रह पैदा हुआ है।

    याचिका में कहा गया है,

    "यह भी चिंता का विषय है कि प्रतिवादियों ने बहुत कम आय वाले कई मंदिरों में कार्यकारी अधिकारियों को रखा है, जहां कुप्रबंधन की संभावना बहुत कम है। इससे पता चलता है कि प्रतिवादी बिना किसी वैध कारण के अंधाधुंध तरीके से कई मंदिरों पर नियंत्रण कर रहे हैं।"

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने प्रस्तुत किया कि कार्यकारी अधिकारी मंदिर के फंड को डायवर्ट कर रहे हैं जो भक्तों द्वारा उनके वेतन और उद्देश्यों के लिए धार्मिक दान से बनाए गए हैं जो प्रकृति में धार्मिक नहीं हैं।

    उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 70 वर्षों में ऐसा कोई रिकॉर्डेड उदाहरण नहीं है जहां तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने मंदिरों के प्रशासन को संभालने के बाद ट्रस्टी या संबंधित समुदाय को एक मंदिर वापस सौंप दिया हो।

    याचिका में कहा गया,

    "36,627 मंदिर और 57 मंदिर हैं जो पवित्र मठों से जुड़े हैं और 17 मंदिर जैन संप्रदाय के अंतर्गत हैं। इन मंदिरों में से 88.22% मंदिर मानव संसाधन और सीई विभाग के नियंत्रण में हैं और वार्षिक आय 10,000 रुपये से कम की है।"

    केस टाइटल: इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट बनाम तमिलनाडु राज्य| अपील के लिए विशेष अनुमति याचिका (सी) नंबर 22710/2022

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