सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाही की लाइव स्ट्रीमिंग : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को CJI के पास भेजा

LiveLaw News Network

4 Feb 2020 5:33 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाही की लाइव स्ट्रीमिंग : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को CJI के पास भेजा

    सुप्रीम कोर्ट ने अदालती कार्रवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के मामले को उस समय मुख्य न्यायाधीश ( CJI) के पास प्रशासनिक तौर पर फैसला लेने के लिए भेज दिया जब सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।

    मंगलवार वो वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत इस संबंध में कोई न्यायिक आदेश जारी नहीं कर सकती। पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश प्रशासनिक पक्ष में अंतिम फैसला लेंगे।

    शीर्ष अदालत राष्ट्रीय और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा थी। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "CJI को प्रशासनिक पक्ष में फैसला करना है। क्या हम ऐसा करने के लिए संसद को एक आदेश जारी कर सकते हैं? इसका प्रभाव शून्य होगा।"

    हालांकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग पर शीर्ष अदालत के फैसले को लागू किया जाना है।

    AG ने कहा कि यह नहीं हो सकता, लेकिन यहां स्थिति अलग है। "न्यायालय खुद को निर्देश जारी कर सकता है।" न्यायमूर्ति मिश्रा ने जवाब दिया, " CJI को प्रशासनिक पक्ष पर निर्णय लेना है ना कि न्यायिक पक्ष पर ..."

    वहीं इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि 2018 का फैसला है और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। ऐसे में कोर्ट को लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश जारी करने चाहिए।

    दरअसल 26 सितंबर 2018 को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी थी।

    ये फैसला सुनाते हुए तीन जजों की बेंच ने कहा था, ' सूरज की रोशनी रोगनाशक होती है ' पीठ ने कहा था कि जल्द ही इस संबंध में नियम बनाए जाएंगे। इससे न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता भी आएगी।

    24 अगस्त 2018 को मुद्दे पर अटार्नी जनरल द्वारा विस्तृत गाइडलाइन दाखिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    पीठ ने कहा था कि इससे पारदर्शिता बढेगी और खुली अदालत के सिद्धांत के ये अनुरूप है।

    इधर AG के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट नें गाइडलाइन दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि लाइव स्ट्रीमिंग पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर चीफ जस्टिस की कोर्ट से शुरू हो और सफल होने पर दूसरी अदालतों में लागू किया जा सकता है।इसमें संवैधानिक मुद्दे शामिल हों। वैवाहिक विवाद, नाबालिगों से जुडे मामले, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द से जुडे मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होनी चाहिए।

    AG ने सुझाव दिया था कि कोर्टरूम की भीड़भाड़ करने के लिए वादियों, पत्रकार, इंटर्न और वकीलों के लिए एक मीडिया रूम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि कोर्ट गाइडलाइन जारी करेगा तो सरकार संसाधनों के लिए फंड रिलीज करेगी। वहीं एक वकील ने इसका विरोध भी किया।

    हालांकि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने साफ किया था कि अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं।

    गौरतलब है कि 3 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गाइडलाइन तैयार कर कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे।

    पीठ ने कहा था कि महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों और अहम सामाजिक मामलों में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकती है। इस मामले में कोर्ट को समग्र गाइडलाइन चाहिए।कोर्ट ने AG के के वेणुगोपाल को कहा था कि वो अन्य याचिकाकर्ता के भी सुझावों को लें और समग्र गाइडलाइन कोर्ट में दाखिल करें। इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को लाइव दिखाने की पीठ ने वकालत की थी।

    वहीं केंद्र सरकार ने भी मांग का समर्थन किया था। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट तैयार होता है तो सरकार लोकसभा या राज्यसभा की तरह अलग से सुप्रीम कोर्ट चैनल की व्यवस्था कर सकती है।

    26 मार्च 2018 को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल के साथ-साथ बार की दलीलें सुनने पर जोर दिया था।

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